
मेरठ। सरधना थाना क्षेत्र के नवाबगढ़ी गांव में दो मासूम बच्चों की नृशंस हत्या ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया है। तांत्रिक क्रिया के संदेह में की गई इन हत्याओं को लेकर पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। पीड़ित परिवारों का आरोप है कि उन्होंने पहले ही तांत्रिक असद के खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे यह दुखद त्रासदी हुई।
पहला मामला: उवैश की हत्या
बृहस्पतिवार को 14 वर्षीय उवैश शाम की नमाज़ के लिए घर से निकला, लेकिन वापस नहीं लौटा। देर रात उसके पिता शकील के मोबाइल पर फिरौती के रूप में पांच लाख रुपये की मांग के साथ एक क्यूआर कोड भेजा गया। शकील ने तत्काल पांच हजार रुपये ट्रांसफर किए, लेकिन उसका कोई परिणाम नहीं निकला। पुलिस ने शनिवार को सर्विलांस की मदद से एक जर्जर मकान में तलाशी ली, जहां उवैश का शव बरामद हुआ। उसकी गला घोटकर हत्या की गई थी।
दूसरा मामला: रिहान की पूर्व में हुई हत्या
तीन महीने पहले तीन अप्रैल को रिहान नामक बच्चे के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। उसकी मां फरहाना ने रिपोर्ट दर्ज कराते समय तांत्रिक असद का नाम लिया था और उस पर बार-बार संदेह जताया था। लेकिन पुलिस ने इसे प्रेम-प्रसंग या आपसी रंजिश बताकर टाल दिया। अब जब उवैश की हत्या के बाद असद की गिरफ्तारी हुई, तो उसने पूछताछ में रिहान की हत्या की बात भी स्वीकार कर ली। आरोपी की निशानदेही पर पुलिस ने खेत से रिहान के कपड़े और कुछ हड्डियां बरामद की हैं।
तांत्रिक क्रिया के लिए दी गई बच्चों की बलि
आरोपी असद ने पुलिस को बताया कि उसने तांत्रिक शक्तियां प्राप्त करने के लिए बच्चों की बलि दी। इस कथन ने समाज में फैले अंधविश्वास और तांत्रिकता के नाम पर हो रहे अपराधों की भयावहता को उजागर किया है।
पुलिस की तीन बड़ी लापरवाहियां
- रिहान की मां की शिकायतों और असद का नाम लेने के बावजूद उससे पूछताछ नहीं की गई।
- उवैश के लापता होने के शुरुआती घंटों में पुलिस की निष्क्रियता रही।
- रिहान के परिजनों को थाने से भगा दिया गया और झूठा इल्जाम लगाने की धमकी दी गई।
अब शुरू हुई जांच, पर क्या यह काफी है?
अब जाकर पुलिस ने आरोपी असद के साथ उसके पिता इकरामुद्दीन और भाई जुबैर से पूछताछ शुरू की है। हत्या, अपहरण और साक्ष्य मिटाने जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। रिहान के अवशेषों की दोबारा तलाश की जा रही है और फॉरेंसिक टीम को भी मौके पर बुलाया गया।
गांव में भय और आक्रोश का माहौल
गांव नवाबगढ़ी में दहशत और गुस्से का माहौल है। ग्रामीणों और पीड़ित परिवारों ने पुलिस की लापरवाही को लेकर आक्रोश जताया है। उनका कहना है कि यदि पुलिस ने पहले शिकायतों को गंभीरता से लिया होता तो उवैश की जान बचाई जा सकती थी।
परिजनों की न्याय की मांग
पीड़ित परिवारों ने दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि पुलिस की लापरवाही के चलते उनके घरों के इकलौते चिराग बुझ गए। ग्रामीणों का भी कहना है कि अब केवल आरोपी की सजा नहीं, बल्कि लापरवाह पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए।
यह मामला एक बार फिर दर्शाता है कि अंधविश्वास, तंत्र-मंत्र और प्रशासनिक उदासीनता का घातक संगम किस प्रकार मासूम जिंदगियों को निगल रहा है।