ऊधम सिंह नगर। कुमाऊं और गढ़वाल की विलुप्त हो रही सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की पहल शुरू हो गई है। अब युवा पीढ़ी गड़देवी, नंदा जागर, भीमा कठैत सहित अन्य गाथाओं के माध्यम से कुमाऊं और गढ़वाल का इतिहास जान सकेगी। पंडित गोविंद बल्लभ पंत लोक कला संस्थान ने इन लोक गाथाओं को संकलित कर इनका प्रकाशन कर दिया है।
संस्थान ने अब तक धार्मिक और वीर गाथाओं से जुड़े गड़देवी की गाथा, नंदा जागर, भीमा कठैत की गाथा, कृष्णा रुकमणी और कल्याण बिष्ट की गाथा को प्रकाशित कर लोगों को उत्तराखंड के इतिहास से रूबरू कराया है। जल्द संस्थान तीन और वीर गाथाओं के अभिलेखों का प्रकाशन करेगा। संस्थान की पहल से युवाओं को कुमाऊं और गढ़वाल के इतिहास को जानने का मौका मिलेगा।
अन्य प्रदेशों के लोग भी इन पुस्तकों के माध्यम से उत्तराखंड की अनूठी संस्कृति को करीब से समझ सकेंगे। जीबी पंत लोक कला संस्थान गढ़वाल की दो और कुमाऊं की एक वीर गाथा का प्रकाशन करेगा। संस्थान इन वीर गाथाओं के मूल अभिलेखों का अनुवाद करने में जुटा है, इसके जल्द पूरा होने की उम्मीद है।
जीबी पंत लोक कला संस्थान ने पांच अभिलेखों से लोक गाथाएं प्रकाशित की हैं। अभिलेखों का अनुवाद होने पर तीन वीर गाथाओं का प्रकाशन होगा।
-डॉ. चंद्र सिंह चौहान, प्रभारी अधिकारी, संस्कृति विभाग, अल्मोड़ा।