बंगाल की खाड़ी के तट पर बसा ओडिशा राज्य बेहद खूबसूरत होने के साथ एक पर्यटक स्थल भी है। ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर के लिए सबसे ज्यादा फेमस है। राजा नरसिंह देव प्रथम ने बाहरवीं शताब्दी सूर्य देव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण करवाया था, जो आज के समय में भी देश-विदेश के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर की ऊँचाई करीब 227 फीट है, जो देश के सभी मंदिरों से ज्यादा है। इस मंदिर का निर्माण सूर्यदेव के रण के रूप में किया गया है। इस मंदिर में 7 घोड़े और 24 पहिए बने हुए हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि पहियों की तीलियों पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों को देखकर सही वक्त बताया जा सकता है। इस मंदिर की नक्काशी भी काफी शानदार है। साथ ही मंदिर की नायाब बनावट के कारण यूनेस्को ने साल 1984 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित कर दिया था। ऐसे में अगर आप भी इस सर्दी कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं और आप यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि आपको कहां जाना चाहिए, तो आप एक बार कोणार्क आने का प्लान बना सकते हैं। इसके अलावा आप यहां पर अन्य कई जगहों को भी एक्सप्लोर कर सकते हैं।
बता दें कि कोणार्क से 19 किमी दूर स्थित यह समुद्र तट अपने सनसेट के नजारे के लिए काफी फेमस है। वहीं यह बीच सुबह-सुबह लगने वाले मछली बाजार के लिए भी फेमस है। यहां पर मछली खरीदने के अलावा, मछली पकड़ने, पकाने और तरह-तरह की मछलियों को खाने का भी लुत्फ उठा सकते हैं।
कोणार्क का सूर्य मंदिर इस जगह के आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर में तीन तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है- मंदिर की चारदीवारी, फर्श और सीढ़ियों पर लेटेराइट पत्थर, दरवाजों की चौखट पर क्लोराइट पत्थर और बाकी पूरी जगह पर खोंडालाइट पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। यूरोपीय नाविकों ने पत्थरों के काले रंग के कारण इसे ब्लैक पगोडा नाम दिया। यहां पर हर साल कोणार्क डांस फेस्टिवल भी आयोजित किया जाता है। इस कार्यक्रम में भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, ओडिसी, कथक, मणिपुरी आदि कई क्लासिकल डांस का प्रदर्शन किया जाता है।
सूर्य मंदिर से करीब 3 किमी की दूरी पर इस चंद्रभागा नदी के नाम पर इस समुद्र तट का नाम पड़ा है, जो इसके पास समुद्र में मिलती है। यहां पर सूर्योदय का नजारा देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगती है। कहा जाता है कि जब श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब को कुष्ठ रोग हो गया था। तो उस रोग से निजात पाने के लिए साम्ब ने इसी स्थान पर सूर्यदेव की उपासना की थी। दिसंबर-जनवरी में हर साल यहां सैंड आर्ट फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है, जिसको न सिर्फ देखने बल्कि उसमें हिस्सा लेने के लिए विदेशों से भी पर्यटक आते हैं। बता दें कि चंद्रभागा बीच को देश के फर्स्ट ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन का गौरव भी प्राप्त है। यह सर्टिफिकेट आधुनिक सुविधाओं और बीच की साफ-सफाई के आधार पर दिया जाता है।
कोणार्क म्यूजियम में आप कई मूर्तियां व दूसरी अन्य सभ्यताओं के अवशेष देख सकते हैं। साथ ही आप इनके बारे में अधिक जानकारी भी ले सकते हैं। आपको बता दें कि कोणार्क घूमने का सबसे अच्छा समय अक्तूबर से मार्च तक होता है। क्योंकि अन्य महीनों में यहां पर चिपचिपी गर्मी होती है।
कैसे पहुंचे
- आप यहां पर सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है।
- इसके अलावा आप पुरी और भुवनेश्वर दोनों ही जगह ट्रेन से भी पहुंच सकते हैं।
- वहीं अगर आप फ्लाइट से आने का प्लान कर रहे हैं, तो यहां भुवनेश्वर नजदीकी हवाई अड्डा है।