आगरा। ताजनगरी आगरा की सिकंदरा थाना पुलिस कठघरे में है। तत्कालीन एसएचओ सहित अन्य पर अवैध हिरासत में रखकर 30 हजार रुपये वसूलने के आरोप लगाए गए हैं। पीड़ित का कहना है कि उसने क्रेडिट कार्ड पर लोन लेकर पुलिस को रिश्वत दी। शिकायत पर सुनवाई नहीं हुई। आईजीआरएस पोर्टल पर भी झूठी रिपोर्ट लगा दी गई। वह भटकने को मजबूर है। शुक्रवार को वह एक बार फिर पुलिस ऑफिस पहुंचा था।
आवास विकास कॉलोनी के सेक्टर 12 बी निवासी बनवारी ने पुलिस आयुक्त को दिए प्रार्थनापत्र में कहा कि पिता वीरेंद्र सिंह गांव नगला मुरली, रुनकता में रहते हैं। 14 अक्तूबर 2023 को देहरादून में रहने वाले बड़े भाई ने फोन किया। बताया कि गांव में पिता और घर की महिलाओं के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की है। उस समय वो गुरुद्वारा पर थे। 112 पर कॉल करने पर मदद नहीं मिली।
इसके बाद वह रुनकता पुलिस चौकी पर मिले। उन्होंने भी शिकायत नहीं ली, दुर्व्यवहार कर भगा दिया। वह सिकंदरा थाना पर आए। तत्कालीन एसएचओ आनंद कुमार शाही से शिकायत की। मगर, कोई कार्रवाई नहीं हुई। जेल भेजने की धमकी दी। दोनों भाइयों और पिता को थाने में बैठा लिया। अवैध हिरासत में रखा।
पुलिसकर्मियों ने मानसिक प्रताड़ित किया। पुलिस ने 30 हजार रुपये रिश्वत मांगी। उनके पिता के पास 10 हजार रुपये थे। इस पर पुलिस ने मोबाइल दिया। क्रेडिट कार्ड पर लोन लिया। मगर, पुलिस ऑनलाइन रकम नहीं लेना चाहती थी। इस पर यह रकम दोस्त को भेजी। वह रकम कैश में लेकर आया। रात 2 बजे 30 हजार रुपये लेने के बाद छोड़ा गया। यह घटना थाने में लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद है।
शिकायतकर्ता का कहना है कि वह नौ साल से गांव में नहीं रह रहे हैं। इसके बावजूद पुलिस ने पाबंद करने की कार्रवाई कर दी। उन्होंने 22 नवंबर को पुलिस आयुक्त से शिकायत की थी। उन्होंने डीसीपी सिटी को जांच दी। उन्होंने एसीपी सैयद अरीब अहमद को जांच की। आरोप लगाया कि शिकायत के संबंध में कोई जांच नहीं की गई। आईजीआरएस पर भी जमीन का मामला दर्शा कर रिपोर्ट लगा दी। सीसीटीवी कैमरे नहीं देखे गए। दोस्त के बयान नहीं लिए गए।