दिल्ली में यमुना नदी ने 45 साल का रिकॉर्ड क्या तोड़ा, राजधानी के कई इलाके जलमग्न हो गए। राहत की बात यह है कि फिलहाल यमुना का जलस्तर घट रहा है और जलभराव की स्थिति भी नियंत्रण में आ रही है। लेकिन दिल्ली में बाढ़ के बाद राहत और बचाव कार्य से ज्यादा चर्चा राजनीति को लेकर रही। दिल्ली में पानी कैसे आया, क्या जानबूझकर छोड़ा गया, देश की राजधानी होने के बावजूद भी दिल्ली इस तरह के हालात का सामना करने के लिए तैयार क्यों नहीं, क्या हर मामले को राजनीतिक रंग देना चाहते हैं केजरीवाल? ये ऐसे सवाल है जो काफी चर्चा में बने हुए हैं। एक नाम इस दौरान खूब चुना गया, वह नाम था हथिनी कुंड बैराज का। हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद ही दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से काफी ऊपर चला गया और इसने एक बार फिर से हरियाणा बनाम दिल्ली कर दिया।
एक ओर आप प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कहते रहे कि हमें राजनीति नहीं करनी, मिलकर काम करना है। दूसरी ओर उनके मंत्री ओर पार्टी के नेता भाजपा शासित हरियाणा को दिल्ली में बाढ़ के लिए जिम्मेदार मानते रहे। दिल्ली के सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जानबूझ कर दिल्ली को डुबोया जा रहा है। हथिनीकुंड बैराज से अतिरिक्त पानी केवल दिल्ली भेजा जाता था। सुप्रीम कोर्ट समेत दिल्ली के सभी महत्वपूर्ण संस्थानों को जलमग्न करने की भी साजिश थी। उन्होंने दावा किया कि बैराज से अतिरिक्त पानी हरियाणा में पश्चिमी नहर और उत्तर प्रदेश में पूर्वी नहर की ओर नहीं छोड़ा जा रहा है। दिल्ली की पीडब्ल्यूडी मंत्री आतिशी ने सवाल किया कि क्या शहर में बाढ़ की स्थिति से बचा जा सकता था। उन्होंने कहा कि यह बड़ा सवाल है कि हथिनीकुंड बैराज से सारा पानी सिर्फ दिल्ली के लिए ही क्यों छोड़ा गया? वहां से उत्तर प्रदेश और हरियाणा जाने वाली नहरों में एक बूंद भी पानी नहीं छोड़ा गया। इसका जवाब हरियाणा को देना होगा। क्या दिल्ली में बाढ़ की स्थिति को टाला जा सकता था?
आम आदमी पार्टी के आरोपों पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि इस तरह की मसलों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने अपने तल्ख तेवर दिखाते हुए दिल्ली सरकार को अनपढ़, बेशर्म तक कह दिया। उन्होंने हथिनी कुंड बैराज से ज्यादा पानी छोड़ने के दिल्ली सरकार के आरोप को वाहियात करार देते हुए कहा कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान हमारा हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब पानी ज्यादा हो जाता है तो नदी के नेचुरल फ्लोर की ओर ही इसे छोड़ा जाता है। यह नियम बहुत पहले से बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि अगर हमें जानबूझकर पानी छोड़ना रहेगा तो इससे हमारा ही नुकसान होगा। दिल्ली के बाद पानी फिर से हरियाणा में ही जाता है और फरीदाबाद और पलवल से यमुना होकर गुजरती है। उन्होंने कहा कि यमुना के साथ हरियाणा का क्षेत्र ज्यादा लगता है। पानी से हमें ज्यादा नुकसान हुआ है। लेकिन हमने किसी को बदनाम नहीं किया। उन्होंने कहा कि यह आरोप-प्रत्यारोप अच्छा नहीं है। यह न तो मानवता, न ही राज्य और न ही देश के हित में है।” खट्टर ने सवाल किया कि क्या ऐसा हो सकता है कि “हम पहले अपने जिलों को डुबो देंगे और फिर दिल्ली को।” उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “यह, हम तो डूबेंगे सनम, तुमको भी ले डूबेंगे, जैसा है।
भाजपा ने आरोप लगाया कि दिल्ली में बाढ़ के लिए आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार जिम्मेदार है। पार्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्थिति से निपटने में ‘असफल’ रहने के लिए जनता से माफी मांगे। भाजपा ने तो साफ तौर पर कहा कि आप और केजरीवाल अपने भ्रष्टाचार और निष्क्रियता से बचने के लिए बहाना बना रहे हैं। जिस तरह से उन्होंने कोविड-19 और प्रदूषण के दौरान केंद्र और अन्य राज्यों को जिम्मेदार ठहराया था उसी तरह अब वह दिल्ली में आई बाढ़ के लिए हरियाणा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र, सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), दिल्ली के उप राज्यपाल और अन्य एजेंसियां लोगों को राहत पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं जबकि ‘आप’ नेता और केजरीवाल सरकार के मंत्री शहर में आई बाढ़ के लिए ‘साजिश’का आरोप लगा रहे हैं।’’
हरियाणा में भाजपा की सरकार है जबकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की। दोनों एक दूसरे के राजनीतिक दुश्मन। दोनों ओर से हर मामले को लेकर एक दूसरे पर निशाना साधा जाता है और इससे राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की जाती है। अरविंद केजरीवाल लगातार अपनी पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय करना चाहते हैं। वह हरियाणा में भी चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा रियाणा सरकार पर दिल्ली बाढ़ की जिम्मेदारी डालते हुए वह कहीं ना कहीं अपने खिलाफ बन रहे माहौल को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली में चुकी इस वक्त एमसीडी पर भी आम आदमी पार्टी का राज है। ऐसे में दिल्ली बाढ़ को लेकर सबसे ज्यादा सवाल आम आदमी पार्टी से ही पूछे जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी इस बहाने भाजपा पर भी निशाना साधने में लगी रही। साथ ही साथ यह बताने की भी कोशिश कर रही थी कि दिल्ली में अधिकारी उपराज्यपाल का निर्देश मानते हैं इसलिए बचाव कार्यों में देरी हो रही है।
राजनीति में यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की आपदाओं को लेकर राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। हालांकि, सत्ताधारी दल को इस बात की जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि अभी जो स्थिति आई है, उससे निपटने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। लेकिन लोकतंत्र में इस तरह की स्थिति बहुत ही देखने को मिलता है। हालांकि, जनता राजनीतिक दलों की हर चाल को समझती है और वक्त आने पर इसका जवाब भी देती है।