देहरादून। राजाजी टाइगर रिजर्व में गुलदार और बाघ के संघर्ष की बात सामने आई है। यहां बाघ ने वयस्क मादा गुलदार और उसके शावक को मार डाला। दोनों के शव चिल्लावाली रेंज की लालूखाला बीट में पड़े मिले। गुलदार का एक शावक लापता बताया जा रहा है। इसकी खोज में राजाजी और वन विभाग की टीमें जुट गई हैं।
राजाजी टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर साकेत बडोला ने बताया कि शनिवार को लालूखाला बीट के कर्मचारी गश्त पर थे। उन्होंने वहां पर एक वयस्क मादा गुलदार और उसके शावक (नर) का शव पड़ा देखा। इसके बाद मौके पर वन विभाग, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और पशु चिकित्सा अधिकारियों को बुलाया गया।
दोनों के शवों की जांच की गई। पता चला कि इनके अंग सुरक्षित हैं। इनके आसपास के स्थान को देखा तो पता चला कि यहां बाघ के पंजों के निशान हैं। इससे आशंका जताई जा रही है कि इन दोनों का किसी शिकारी ने शिकार नहीं किया, बल्कि बाघ ने संघर्ष में मारा है। दोनों शवों का पोस्टमार्टम कराने के बाद नियमानुसार जलाया गया।
इधर, सूत्रों के अनुसार इस मादा गुलदार का एक शावक लापता है। आशंका जताई जा रही है कि यह शावक इस संघर्ष में अपनी जान बचाकर जंगल में छिप गया है। उसकी तलाश के लिए वन विभाग और राजाजी के कर्मचारियों की टीमें बनाई गई हैं। टीमें यहां पर रात में भी सर्च ऑपरेशन चलाएंगी। इस घटना के बाद विभाग में हड़कंप मच गया है।
जानवरों का यह संघर्ष पहली बार नहीं हुआ है। शुक्रवार को भी कार्बेट की कालागढ़ रेंज में एक बाघ का शव मिला था। उसके भी सभी अंग सुरक्षित पाए गए थे। विशेषज्ञों के अनुसार यह मौत आपसी संघर्ष के कारण हुई थी। पांच मई को इसी जगह एक अन्य बाघ का शव मिला था। आशंका जताई जा रही थी कि इन दोनों बाघों में संघर्ष हुआ, जिसके कारण बारी-बारी से दोनों की मौत हो गई। इसी तरह गंगोलीहाट में भी एक गुलदार का शव मिला। ग्रामीणों ने इस गुलदार को दूसरे गुलदार के साथ लड़ते हुए देखा था।
विशेषज्ञों के अनुसार बाघ और गुलदार एक दूसरे के दुश्मन होते हैं। बाघ का एक कोर क्षेत्र होता है। इससे आगे के क्षेत्र को आउटर क्षेत्र कहा जाता है। इस आउटर क्षेत्र में तो गुलदार शिकार के लिए आ जा सकता है। लेकिन, बाघ अपने कोर क्षेत्र में गुलदार की चहलकदमी को सहन नहीं करता। ऐसा माना जा रहा है कि चिल्लावाली रेंज में भी मादा गुलदार अपने बच्चों के साथ बाघ के इसी कोर क्षेत्र में आई होगी। इससे बाघ ने उन पर हमला कर दिया।