नई दिल्ली। जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में कोरोना वायरस संक्रमण और यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया भर में तबाही मची है। फूड एनर्जी और सिक्योरिटी सत्र में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना और यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया भर में सप्लाई की व्यवस्था गड़बड़ा गई है। इन दोनों समस्याओं के कारण दुनिया भर में तबाही मची है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्थाएं भी इन परेशानियों से बचाने में विफल साबित हुई है। उन्होंने कहा कि दुनिया के लिए जरुरी है कि सभी को मिलकर यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए रास्ता निकाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा यूक्रेन में युद्ध विराम का समर्थन किया है। इस मुद्दे पर कूटनीति के रास्ते पर लौटकर मध्य का रास्ता खोजने की जरुरत है। उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि इस युद्ध के कारण दुनिया तबाह हुई थी। उस युद्ध के कहर का असर आज भी दुनिया में देखने को मिलता है। हालांकि उस समय नेताओं ने शांति का रास्ता अपनाकर युद्ध को खत्म किया था। आज के समय में भी वही करना अहम कदम साबित होगा।
उन्होंने कहा कि हमें ऊर्जा की आपूर्ति पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए। ऊर्जा बाजार में स्थिरता को बनाए रखना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक भारत में आधी बिजली अक्ष्य स्त्रोतों से उत्पन्न होने लगेगी। उन्होंने बता या कि भारत में खाद्य सुरक्षा की स्थिति बनाए रखने के लिए प्राकृति खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार लगातार पौष्टिक और पारंपरिक खाद्य पदार्थों को लोकप्रिय बानाने पर जोर दे रही है। आने वाले समय में भारत अपनी खाद्य सुरक्षा को मजबूत कर वैश्विक कुपोषण और भूखमरी को भी दूर करने में सक्षम होगा।
उन्होंने कहा कि आज के समय में खाद्य की कमी होती है तो ये आने वाले समय में खाद्य संकट के तौर पर उभरेगी। ऐसी स्थिति में दुनिया के समाने किसी तरह से इस समस्या से निपटने के लिए दुनिया के पास रास्ता नहीं होगा। ऐसे में जरूरी है कि खाद्यानों की आपूर्ति को स्थिर बनाना जरूरी है। इस संबंध में देशों को भी आपस में समझौते करने चाहिए, ताकि दुनिया खाद्यान संकट से ना जूझे।
जी-20 दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर सरकारी मंच है। इसमें अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका व यूरोपीय संघ शामिल हैं। जी-20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। भारत एक दिसंबर से औपचारिक रूप से जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा।