
आजमगढ़ जिले में साइबर अपराध का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक युवक ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) के फर्जी हस्ताक्षर और थाना मेंहनगर की नकली मुहर का इस्तेमाल करते हुए एक नोटिस तैयार किया और उसे डाक से भेजकर लोगों को ठगने की कोशिश की। मामला तब खुला जब ग्राम ठोठीया निवासी गुलाबचंद को एक नोटिस प्राप्त हुआ, जिसमें लिखा था कि उनके खिलाफ थाना मेंहनगर में शिकायत दर्ज है और उन्हें पुलिस अधीक्षक के समक्ष उपस्थित होना है। नोटिस में चेतावनी दी गई थी कि यदि वे उपस्थित नहीं हुए तो गिरफ्तारी की कार्रवाई की जा सकती है।
नोटिस देखने में बिल्कुल असली लग रहा था क्योंकि उसमें एसपी आजमगढ़ के फर्जी हस्ताक्षर और थाने की नकली मुहर लगी हुई थी। इसके बाद गुलाबचंद के मोबाइल पर ₹22,492.30 रुपये जमा करने का एक फर्जी ओटीपी मैसेज भी भेजा गया। उन्हें संदेह हुआ और उन्होंने पुलिस से संपर्क किया। जब पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि यह पूरा खेल उनके ही गांव ठोठीया के युवक प्रशांत सिंह ने रचा था।
आरोपी ने अपने लैपटॉप पर एसपी और थाना मेंहनगर की मुहर की डिजाइन तैयार की और फर्जी दस्तावेज बनाकर नोटिस तैयार किया। उसने यह नोटिस डाक से भेजा ताकि उसे असली साबित किया जा सके। पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी ने यह साजिश एक जमीनी विवाद में फायदा उठाने के लिए रची थी। गुलाबचंद और सुनील कश्यप के बीच जमीन को लेकर विवाद चल रहा था, और प्रशांत इस विवाद में मध्यस्थ बनकर आर्थिक लाभ लेना चाहता था।
6 अक्तूबर को आरोपी प्रशांत सिंह गुलाबचंद को यह कहकर पुलिस कार्यालय ले गया कि उन्हें एसपी से मिलना है। वहां पहुंचकर उसने गुलाबचंद को बाहर बिठा दिया और खुद अंदर जाने का बहाना किया। इसी दौरान उसने अपने लैपटॉप से एक फर्जी भुगतान संदेश तैयार किया और गुलाबचंद के मोबाइल पर भेज दिया। आरोपी का उद्देश्य उन्हें भ्रमित कर किसी तरह पैसा हड़पना था।
जब यह मामला एसपी डॉ. अनिल कुमार के संज्ञान में आया, तो उन्होंने तत्काल जांच के आदेश दिए। नोडल अधिकारी साइबर क्राइम विवेक त्रिपाठी और क्षेत्राधिकारी आस्था जायसवाल के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। पुलिस टीम ने 15 अक्तूबर की रात करीब 9:30 बजे गोसाई बाजार स्थित फिनो पेमेंट बैंक की दुकान से आरोपी प्रशांत सिंह को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उसके पास से लैपटॉप, मोबाइल फोन और नकली मुहरें बरामद की हैं।
एसपी ग्रामीण चिराग जैन ने बताया कि आरोपी के खिलाफ आईटी एक्ट की धाराओं सहित भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (कूटरचना), 468 (फर्जी दस्तावेज बनाना) और 471 (फर्जी दस्तावेज का प्रयोग) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि आरोपी ने इससे पहले इस तरह की कोई और ठगी की वारदात तो नहीं की।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह मामला साइबर अपराध के नए और खतरनाक रूप को उजागर करता है, जिसमें अपराधी प्रशासनिक दस्तावेजों की नकल कर आम लोगों को ठगने का प्रयास कर रहे हैं। यह घटना यह भी दिखाती है कि ठग अब तकनीक और डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल सिर्फ बैंकिंग या ऑनलाइन खरीदारी में नहीं, बल्कि सरकारी प्रणाली की नकल करने में भी कर रहे हैं।
आजमगढ़ पुलिस ने लोगों से अपील की है कि यदि किसी को इस प्रकार का कोई नोटिस या संदेश प्राप्त होता है तो वह तुरंत संबंधित थाने या साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर संपर्क करें और किसी भी स्थिति में किसी लिंक पर क्लिक न करें या ओटीपी साझा न करें।
यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि डिजिटल युग में अपराधी अपनी चालें बदलते जा रहे हैं, इसलिए जागरूकता और सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है। पुलिस की तत्परता से यह मामला उजागर हुआ और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन इस घटना ने यह जरूर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अब ठगी का दायरा कितना खतरनाक और संगठित रूप ले चुका है।







