
गाजियाबाद पुलिस की स्वॉट टीम ने एक बड़े साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो वर्ष 2018 से अमीर और बीमार विदेशियों को निशाना बना रहा था। यह गिरोह कॉल सेंटर के माध्यम से विदेशी नागरिकों से हेल्थ सर्विस का झांसा देकर उनका डेटा जुटाता और उसे विदेशों में बैठे ठगों को बेच देता था। इस डेटा की कीमत प्रति नागरिक 200 से 300 डॉलर तक वसूली जाती थी। गिरोह अब तक लगभग 25 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी कर चुका है।
ऐसे हुआ खुलासा
स्वॉट टीम ने छापा मारकर मौके से 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें चार युवतियां भी शामिल हैं। इनके पास से 25 डेस्कटॉप कंप्यूटर, 25 हेडफोन, एक कार, नकदी और अन्य सामग्री बरामद हुई। यह कॉल सेंटर “यूनिहेल्थ केयर सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड” के नाम से पंजीकृत था और इसका संचालन मनीष मिश्रा उर्फ मोनू कर रहा था।
ठगी का तरीका
गिरोह सबसे पहले हेल्थ सर्विस देने का दावा करते हुए विदेशी नागरिकों से बातचीत करता था। इनमें खास तौर पर अमीर और बीमार लोग शामिल किए जाते थे। उनके व्यक्तिगत और स्वास्थ्य संबंधी विवरण दर्ज किए जाते थे। इसके बाद यह संवेदनशील डेटा विदेश में बैठे धोखाधड़ी नेटवर्क को बेचा जाता था। डेटा बेचने पर गिरोह को प्रति नागरिक 200–300 डॉलर मिलते थे।
अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन
जांच में खुलासा हुआ है कि इस गिरोह के तार सीधे यूएसए से जुड़े हैं। विदेशों में बैठे ठग इन डेटा का उपयोग कर पीड़ितों से और अधिक ठगी करते थे।
पुलिस का कहना
गाजियाबाद पुलिस का कहना है कि आरोपियों से पूछताछ जारी है और गिरोह के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की गहन जांच की जा रही है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि अब तक किन देशों और कितने लोगों का डेटा बेचा गया।
गिरफ्तार आरोपी
गिरफ्तार किए गए 11 लोगों में कॉल सेंटर संचालक मनीष मिश्रा उर्फ मोनू, उसके सहयोगी और चार युवतियां शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि यह गिरोह काफी समय से सक्रिय था और संगठित ढंग से काम कर रहा था।