
देहरादून की दून घाटी सोमवार और मंगलवार की दरम्यानी रात बादल फटने से तबाही का गवाह बनी। अलग-अलग जगहों पर नदी में बहने और मलबे में दबने से 17 लोगों की मौत हो गई, जबकि 13 से अधिक लोग लापता हैं। प्रशासन ने अब तक 13 मौत, तीन घायल और 13 लापता होने की पुष्टि की है। वहीं, मौठ नदी से दो पुराने शव भी बरामद हुए हैं।
खौफ और दुआओं के बीच बचे लोग
आपदा प्रभावित लोग नदी के दूसरी ओर से अपने घरों को निहारते हुए भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि किसी तरह उनके आशियाने सुरक्षित रहें। पुष्पा, अंशिका, मोतीलाल वर्मा और नीरज कुमार जैसे कई परिवार रातभर घरों के बाहर ही बैठे रहे। उनकी आंखों में आंसू और चेहरे पर खौफ साफ झलक रहा था। वे कह रहे थे— “जान तो बच गई, मगर हमारी जिंदगी भर की कमाई खतरे में है।”
करीब 25 साल से सहस्त्रधारा नदी किनारे रह रहे ये लोग पहली बार इतने बड़े प्राकृतिक कहर से दो-चार हुए हैं। रात को करीब 1 बजे और फिर साढ़े 4 बजे बादल फटा। पहाड़ों से भारी मात्रा में पानी, पत्थर और मलबा बहकर नीचे आया और सीधे घरों से टकराने लगा। इसके बाद प्रशासन ने तत्काल लोगों को घर खाली करने का निर्देश दिया। तभी से लोग अपने घरों से दूर असुरक्षा और बेबसी की हालत में बैठे हैं।
भूख-प्यास और असहायता
प्रभावितों ने बताया कि वे जल्दबाजी में अपने घरों से गहने, बच्चों की पढ़ाई से जुड़े कागजात और जरूरी दस्तावेज ही निकाल पाए। बाकी सारा सामान मकानों में ही पड़ा है। सुबह से भूखे-प्यासे वे खुले आसमान तले बैठकर नदी के बहाव को देखते रहे। उनका कहना है— “अगर घर ढहा, तो जिंदगी की गाढ़ी कमाई और जीने की आस, दोनों ही डूब जाएंगे।”
दुकानदारों पर भी संकट
नदी किनारे बनी कई दुकानें भी खतरे की जद में आ गई हैं। दुकानदारों का कहना है कि यदि बहाव और तेज हुआ तो उनका पूरा कारोबार तबाह हो जाएगा।
प्रशासन की चुनौती
राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन लगातार बारिश और मलबे के कारण दिक्कतें बढ़ गई हैं। लोगों की सबसे बड़ी चिंता यही है कि उनके मकान सुरक्षित रह पाएं। फिलहाल प्रशासन ने प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है।




