
बड़कोट (उत्तरकाशी)। उत्तरकाशी जिले के यमुनोत्री हाईवे पर स्यानाचट्टी क्षेत्र में यमुना नदी पर बनी झील अब स्थानीय लोगों के लिए आपदा का कारण बनती जा रही है। कुपड़ा खड्ड से बार-बार मलबा और बड़े पत्थर आने से नदी का प्रवाह अवरुद्ध हुआ और झील का जलस्तर लगातार बढ़ता गया। नतीजा यह हुआ कि स्यानाचट्टी का पूरा क्षेत्र पानी में डूब गया। हालात ऐसे बने कि लोग पानी में खड़े होकर जिला प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करने पर मजबूर हो गए।
ग्रामीणों का फूटा आक्रोश
शुक्रवार को सैकड़ों ग्रामीण जलमग्न यमुनोत्री पुल के पास जमा हुए और पानी में खड़े होकर जोरदार नारेबाजी की। ग्रामीणों का कहना था कि प्रशासन समय रहते ठोस कदम उठाता तो हालात इस कदर भयावह नहीं होते। उन्होंने पुल और आस-पास की संरचनाओं के जलमग्न होने के लिए सीधे तौर पर जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। ग्रामीणों के आक्रामक तेवर देख मौके पर मौजूद पुलिस-प्रशासनिक अमले के हाथ-पांव फूल गए।
राफ्ट से पहुंचे डीएम और जनप्रतिनिधि
स्थिति की गंभीरता देखते हुए जिलाधिकारी, स्थानीय विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष राफ्ट के जरिए प्रभावित क्षेत्र तक पहुंचे। हालांकि उन्हें भी ग्रामीणों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने साफ कहा कि सिर्फ आश्वासन से काम नहीं चलेगा, बल्कि तुरंत झील का पानी निकालने और पुनर्वास की ठोस व्यवस्था होनी चाहिए। जिलाधिकारी ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि झील को जल्द खोलने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है और प्रभावित परिवारों को हरसंभव सहायता दी जाएगी।
प्रशासनिक प्रयास और राहत कार्य
झील के खतरे को देखते हुए पीडब्ल्यूडी, सिंचाई विभाग, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियां लगातार जलनिकासी के प्रयासों में जुटी हैं। शुक्रवार को करीब एक घंटे के भीतर जलस्तर में लगभग दो फुट की कमी दर्ज की गई है। प्रशासन ने स्यानाचट्टी, कुथनौर और खराड़ी के होटलों और भवनों को खाली करवा दिया है। अब तक करीब 300 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन को निर्देश दिए हैं कि झील की स्थिति पर लगातार नजर रखी जाए और चैनलाइजेशन के जरिए पानी की निकासी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने जिला प्रशासन को आपदा प्रभावित परिवारों की हर संभव मदद करने और राहत शिविरों में समुचित व्यवस्था करने के आदेश दिए हैं।
दहशत और नुकसान
गुरुवार रात से ही स्यानाचट्टी क्षेत्र में हालात भयावह बने हुए हैं। घरों और होटलों में पानी घुसने से स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई है। व्यापारी वर्ग को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। यमुनोत्री धाम जाने वाले यात्रियों की आवाजाही भी प्रभावित हुई है। वहीं स्थानीय लोग लगातार यह मांग कर रहे हैं कि कुपड़ा खड्ड से आने वाले मलबे की समस्या का स्थायी समाधान किया जाए, वरना हर साल उन्हें इसी तरह की आपदा का सामना करना पड़ेगा।
आगे की चुनौती
फिलहाल प्रशासन की सबसे बड़ी चुनौती झील का जलस्तर कम करना और प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर टिकाए रखना है। अगर जल्द ही झील से पानी की निकासी नहीं हो पाई तो स्थिति और भयावह हो सकती है।