
बालोद (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले से मानवीय रिश्तों के पतन को उजागर करने वाला चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक महिला आरक्षक ने अपने बॉयफ्रेंड को डिप्टी कलेक्टर बनाने के लिए हर संभव त्याग किया—पढ़ाई और कोचिंग का खर्च उठाया, भावनात्मक और शारीरिक रूप से उसका साथ दिया, यहां तक कि तीन बार गर्भपात तक झेला। लेकिन सफलता की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद वही युवक शादी से मुकर गया। अब पीड़िता ने थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है और पुलिस ने आरोपी डिप्टी कलेक्टर के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर लिया है।
8 साल का रिश्ता और बार-बार धोखा
पीड़िता महिला आरक्षक ने पुलिस को बताया कि वर्ष 2017 में उसकी मुलाकात दिलीप उइके से हुई थी। दोनों ने साथ में पढ़ाई की और इसी दौरान दोस्ती प्यार में बदल गई। दिलीप ने विवाह का वादा किया और शारीरिक संबंध बनाए। इस दौरान महिला कई बार गर्भवती हुई, लेकिन हर बार युवक ने बहाने बनाकर गर्भपात करवा दिया।
पढ़ाई और नौकरी तक का खर्च उठाया
महिला का आरोप है कि उसने दिलीप की पढ़ाई, कोचिंग और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में आर्थिक सहयोग दिया। यहां तक कि लाखों रुपये बैंक से लोन लेकर उसके खाते में ट्रांसफर किए। दिलीप ने महिला के नाम पर कार भी फाइनेंस करवाई, लंबे समय तक खुद उपयोग किया और बाद में अपने नाम ट्रांसफर करवा लिया।
बड़ी पोस्ट मिली तो बदल गया रवैया
वर्ष 2020 में दिलीप का चयन छत्तीसगढ़ कर्मचारी चयन आयोग के जरिए डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ। इसके बाद उसका रवैया बदल गया। शादी की बात करने पर वह कभी घर बनाने, कभी बहन की शादी का बहाना बनाकर टालता रहा।
अंडमान और वारंगल की यात्राएं, फिर भी वादाखिलाफी
पीड़िता का कहना है कि दिसंबर 2024 में दिलीप उसे सात दिन के लिए अंडमान घुमाने ले गया और वहां भी शारीरिक शोषण करता रहा। इसके बाद वह फिर गर्भवती हुई तो आरोपी ने जबरदस्ती गर्भपात करवा दिया। इसी तरह वारंगल की यात्रा के दौरान भी उसका शोषण हुआ और मई 2025 में तीसरी बार गर्भपात कराया गया।
आखिरकार शादी से इनकार
जब पीड़िता ने दोबारा शादी का दबाव बनाया तो दिलीप ने साफ शब्दों में मना कर दिया। इसके बाद महिला ने बालोद जिले के डौंडी थाने में लिखित शिकायत दर्ज करवाई।
पुलिस जांच शुरू
डौंडी थाना पुलिस ने महिला की शिकायत पर आरोपी डिप्टी कलेक्टर दिलीप उइके के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर जांच शुरू कर दी है। मामला सामने आने के बाद स्थानीय स्तर पर भी यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि कैसे ऊंची कुर्सी पर पहुंचते ही रिश्ते और वादे भुला दिए जाते हैं।