
मुंबई। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनावों से पहले महायुति में शामिल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच सीट बंटवारे को लेकर गंभीर मतभेद सामने आ गए हैं। आरपीआई प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि उनकी पार्टी को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया और सीटों के बंटवारे में “घोर विश्वासघात” किया गया।
अठावले ने कहा कि बीएमसी चुनावों के लिए भाजपा और शिवसेना के बीच चली बातचीत में आरपीआई को एक बार भी शामिल नहीं किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी की राजनीतिक ताकत के बावजूद चर्चा से बाहर रखा गया और देर रात करीब दो बजे केवल छह सीटें आवंटित किए जाने की जानकारी दी गई। अठावले के मुताबिक, ये सीटें भी वे नहीं थीं, जिनकी मांग आरपीआई ने की थी।
आरपीआई प्रमुख ने बताया कि उनकी पार्टी ने भाजपा को मुंबई में 26 सीटों की सूची सौंपी थी, जिनमें से कम से कम 14 से 15 सीटें मिलने की उम्मीद थी। लेकिन इसके विपरीत केवल छह सीटें दी गईं, जिन्हें उन्होंने पूरी तरह अस्वीकार्य बताया। अठावले ने कहा कि इन सीटों पर आरपीआई के उम्मीदवार तक नहीं थे, जिससे पार्टी के लिए चुनाव लड़ना व्यावहारिक नहीं था।
इस पूरे घटनाक्रम से नाराज अठावले ने ऐलान किया कि आरपीआई अब मुंबई की 28 सीटों पर अपने चुनाव चिन्ह पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी। उन्होंने साफ किया कि यह फैसला पार्टी के सम्मान और राजनीतिक अस्तित्व की रक्षा के लिए लिया गया है।
अठावले ने यह भी जानकारी दी कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें फोन कर छह सीटें दिए जाने की बात कही थी, लेकिन पार्टी ने स्पष्ट कर दिया कि ये उनकी मांगी गई सीटें नहीं हैं। अठावले के अनुसार, मुख्यमंत्री की ओर से यह कहा गया कि वहां उम्मीदवार मौजूद हैं और चुनाव चिन्ह आरपीआई का होगा, लेकिन पार्टी इस तर्क से सहमत नहीं हुई।
हालांकि, इतना सब होने के बावजूद अठावले ने यह स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी का महायुति गठबंधन से समर्थन फिलहाल जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि गठबंधन में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन राजनीतिक समर्थन अलग विषय है। बीएमसी चुनावों से पहले इस बयान ने महायुति की अंदरूनी खींचतान को उजागर कर दिया है और आने वाले दिनों में इसका असर मुंबई की सियासत पर साफ दिखाई दे सकता है।







