
देहरादून। अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर सोशल मीडिया पर लगाए जा रहे गंभीर आरोपों के बीच भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तराखंड प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम आखिरकार सार्वजनिक रूप से सामने आए। उन्होंने मीडिया में जारी अपने वीडियो बयान में कहा कि उनके खिलाफ सुनियोजित आपराधिक षडयंत्र रचा जा रहा है और कुछ असामाजिक व गलत प्रवृत्ति के लोग उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं।
दुष्यंत गौतम ने भावुक लहजे में कहा कि वह दुखी मन से जनता के सामने आ रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस तरह से मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगातार वीडियो और बयान प्रसारित किए जा रहे हैं, वह केवल भ्रम फैलाने और चरित्र हनन की कोशिश है। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति या स्रोत से यह पूरा मामला शुरू हुआ है, उसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और तथ्यों की प्रमाणिकता परखी जानी चाहिए।
अपने राजनीतिक और सामाजिक जीवन का उल्लेख करते हुए दुष्यंत गौतम ने कहा कि वे पिछले 47 वर्षों से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हैं। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने हमेशा भारतीय जनता पार्टी के नैतिक मूल्यों, सामाजिक मर्यादाओं और बहन-बेटियों की गरिमा को सर्वोपरि रखकर काम किया है। उनके अनुसार, आज तक उनके जीवन में ऐसा कोई प्रसंग नहीं आया, जिससे उनके चरित्र या आचरण पर प्रश्नचिह्न लगा हो।
भाजपा प्रदेश प्रभारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह किसी भी निष्पक्ष जांच से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि जो लोग उनकी छवि खराब करने का प्रयास कर रहे हैं, उन सभी की जांच कराई जाएगी और षडयंत्र रचने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि वे मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने की प्रक्रिया पर भी विचार कर रहे हैं।
दुष्यंत गौतम ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि यदि उनके विरुद्ध कोई भी ठोस और प्रमाणिक सबूत सामने आता है तो वह न केवल राजनीति बल्कि सामाजिक जीवन से भी संन्यास ले लेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि किसी बेटी के नाम का इस्तेमाल कर बार-बार अपमान करना केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि समाज की मां-बहनों और बेटियों की गरिमा का भी अपमान है।
उन्होंने जानकारी दी कि पूरे मामले को लेकर उन्होंने गृह सचिव को पत्र भी भेजा है, जिसमें 28 नामों का उल्लेख करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की गई है। दुष्यंत गौतम के इस बयान के बाद अंकिता भंडारी हत्याकांड से जुड़ी राजनीतिक बहस और तेज हो गई है। मामले ने अब केवल कानून-व्यवस्था ही नहीं, बल्कि राजनीतिक नैतिकता और सार्वजनिक जीवन की विश्वसनीयता का रूप ले लिया है, जिस पर आने वाले दिनों में और प्रतिक्रियाएं सामने आने की संभावना है।




