
ऊधम सिंह नगर (काशीपुर) | पदक हासिल करने की तीव्र प्रतिस्पर्धा में काशीपुर स्टेडियम से एक बेहद चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। स्टेडियम के शौचालयों में प्रयोग की गई सिरिंज और इंजेक्शन की खाली शीशियां मिलने से यह आशंका गहराई है कि खिलाड़ी प्रदर्शन बढ़ाने के लिए डोपिंग और स्टेरॉयड का सहारा ले रहे हैं। यह न केवल खेल की नैतिकता पर प्रश्नचिह्न है, बल्कि खिलाड़ियों के स्वास्थ्य और भविष्य के लिए भी गंभीर खतरा माना जा रहा है।
संवाद टीम की पड़ताल में पाया गया कि स्टेडियम के दोनों मुख्य गेटों पर सुरक्षा व्यवस्था न के बराबर है और बिना किसी रोक-टोक के लोगों की आवाजाही हो रही है। शौचालयों की स्थिति बेहद खराब मिली, जहां गंदगी का अंबार लगा हुआ था, यूरिनल के पाइप टूटे थे, दरवाजों की कुंडियां और बिजली बोर्ड क्षतिग्रस्त थे। इसी बदहाल व्यवस्था के बीच फ्लश, रोशनदान और बाथरूम में इस्तेमाल की गई सिरिंज और खाली इंजेक्शन की शीशियां पड़ी मिलीं, जो डोपिंग के संदेह को और मजबूत करती हैं।
बताया गया है कि इस स्टेडियम में प्रशिक्षण ले चुके दो एथलीट पहले भी डोपिंग के मामलों में पकड़े जा चुके हैं और उन पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके बावजूद हालात में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। जिला क्रीड़ा अधिकारी द्वारा पूर्व में राष्ट्रीय खेलों से पहले व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन जमीनी स्तर पर अब तक इसका असर नजर नहीं आया।
सूत्रों के अनुसार स्टेडियम में करीब तीन सौ प्रोफेशनल खिलाड़ी पंजीकृत हैं, जबकि उत्तर प्रदेश के कई युवक बिना अनुमति के भी यहां अभ्यास करने पहुंच जाते हैं। मना करने के बावजूद उनके आने पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जाती। आशंका जताई जा रही है कि कुछ युवा इंजेक्शन और स्टेरॉयड के जरिए ताकत बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।
इस मामले पर जिला क्रीड़ा अधिकारी जानकी कार्की ने कहा कि स्टेडियम में सिरिंज मिलना गंभीर विषय है और इसकी जांच कराई जाएगी। वहीं, प्रमुख सचिव खेल अमित सिन्हा ने भी मामले की जानकारी लेकर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। खेल जगत से जुड़े लोगों का मानना है कि यदि समय रहते इस पर प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या आने वाले समय में और भयावह रूप ले सकती है।




