
पीलीभीत के गजरौला थाना क्षेत्र में रहने वाले एक युवक को व्हाट्सएप पर भेजा गया लिंक क्लिक करना बेहद महंगा पड़ गया। ग्राम देवीपुरा निवासी नीरज कुमार के मोबाइल पर छह नवंबर को एक मित्र की ओर से एक लिंक भेजा गया था। परिचित व्यक्ति द्वारा भेजे गए लिंक पर संदेह न करते हुए नीरज ने इसे तुरंत खोल लिया और उसमें मांगी गई जानकारी—आधार नंबर और पैन नंबर—भर दी। उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि यह लिंक साइबर ठगों द्वारा बिछाया गया जाल है।
जानकारी भरने के लगभग तीन दिन बाद नीरज के फोन पर नौ नवंबर को लगातार मैसेज आने लगे, जिसमें बताया गया कि उनके खाते से दो बार में एक लाख रुपये निकाले जा चुके हैं। अचानक हुए इन ट्रांजेक्शनों ने उन्हें हैरान कर दिया। बैंक खाते से पैसे निकलने की पुष्टि होने पर उन्हें समझ आया कि वे साइबर ठगी का शिकार हो गए हैं।
पीड़ित नीरज ने तुरंत गजरौला थाने में जाकर तहरीर दी। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आईटी एक्ट समेत अन्य धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। थाना प्रभारी ब्रजवीर सिंह ने बताया कि ट्रांजेक्शन का पता लगाने और आरोपी ठगों तक पहुंचने के लिए साइबर पुलिस की मदद ली जा रही है।
अधिकारियों ने लोगों को सावधान करते हुए कहा कि किसी भी अंजान या संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें। किसी भी स्थिति में पैन, आधार या बैंक संबंधी निजी जानकारी साझा न करें। पुलिस ने यह भी सलाह दी है कि किसी व्यक्ति से आए ओटीपी या अन्य संवेदनशील जानकारी किसी को न दें, क्योंकि साइबर ठग इसी प्रकार लोगों को जाल में फंसाकर ऑनलाइन खातों से रकम उड़ाते हैं।
यह घटना एक बार फिर चेतावनी देती है कि डिजिटल दुनिया में सतर्कता ही सुरक्षा है।







