
रामनगर। नैनीताल जिले के रामनगर के पूछड़ी क्षेत्र में रविवार तड़के शुरू हुई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई ने पूरे इलाके में हंगामा और पीड़ा दोनों एक साथ पैदा कर दी। वन विभाग की भूमि पर बसे 51 परिवारों के अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रशासन ने सुबह छह बजे से बुलडोजर चलाने शुरू किए, जिसके बाद सात घंटे में 15 पक्के और 37 कच्चे मिलाकर कुल 52 घरों को ढहा दिया गया। पूरे अभियान के दौरान सलीम और ताहिर जैसे उन लोगों का नाम हर जुबां पर रहा जिनसे लोगों ने दो से तीन लाख रुपये में वन भूमि पर कथित रूप से जमीन खरीदी थी।
पूछड़ी में अतिक्रमण का मामला नया नहीं है। बीते वर्ष हुई जांच में यह खुलासा हुआ था कि 170 से अधिक परिवारों को 10 रुपये के स्टांप पर जमीन बेचकर बसा दिया गया था। इस मामले में मो. ताहिर, अजमत, फईम अहमद, उस्मान खान, कमला देवी और धीरेंद्र के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए थे। रविवार की कार्रवाई के बीच भी लोगों में सबसे बड़ी खीझ इसी बात को लेकर थी कि उन्हें नकली कागज़ों पर भूमि बेची गई, जबकि प्रशासन अब बेदखली कर रहा है।
शनिवार रात से ही क्षेत्र में तनाव व्याप्त था। ऊर्जा निगम ने इलाके की बिजली काट दी थी, और अंधेरे में लगातार मुनादी होती रही। कई परिवार रातभर रोते-बिलखते अपना सामान बाहर निकालते रहे। सुबह होने तक बच्चों की सिसकियों और बुजुर्गों की भीगी आंखों के साथ घर खाली करने का दौर जारी रहा, और लोगों के लिए दशकों की बसाई जिंदगी कुछ घंटों में उजड़ गई।
रविवार सुबह छह बजे प्रशासन ने लोगों को अंतिम चेतावनी देकर एक घंटे का समय दिया। इसके बाद नौ जेसीबी, चार पोकलैंड, 10 डंपर और कई ट्रैक्टरों के साथ ध्वस्तीकरण शुरू हुआ। भारी पुलिस बल के चलते विरोध करने की कोशिश कर रहे कुछ लोग जल्द ही बैकफुट पर आ गए। अभियान दोपहर एक बजे तक चला और कुल 25 हेक्टेयर वन भूमि कब्जामुक्त कराई गई। बाद में वन विभाग ने इसे आधिकारिक रूप से अपने कब्जे में लिया।
पूछड़ी का रास्ता बेहद संकरा और खराब होने के कारण पोकलैंड मशीनों को कालूसिद्ध के रास्ते से लाकर मौके तक पहुंचाया गया। इसके अलावा इस कार्रवाई में जिले भर से 300 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था, ताकि किसी प्रकार का तनाव न बढ़े।
पूछड़ी में 2019 में नगर पालिका को दिए गए ट्रंचिंग ग्राउंड के लिए 12 बीघा क्षेत्र में भी अतिक्रमण फैला हुआ था। वन विभाग को 98 लाख रुपये भुगतान करने के बावजूद इस भूमि का कब्जा नहीं मिल पाया और नौ बीघा हिस्सा अवैध तरीके से बसा दिया गया था। रविवार की कार्रवाई में इस भूमि को भी पूरी तरह अतिक्रमण मुक्त किया गया और खेती की गई जगहों को पाटकर समतल किया गया।
इस कार्रवाई का विरोध कर रहे 13 से अधिक लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया। इनमें उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव प्रभात ध्यानी सहित कई स्थानीय निवासी शामिल थे। उन्हें बैरियर पार कर आगे बढ़ने से रोका गया और थाने ले जाया गया, बाद में सभी को छोड़ दिया गया।
एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि पूर्व में वन भूमि को स्टांप पर बेचने वालों में ताहिर और सलीम के नाम फिर सामने आए हैं। पुलिस इस पूरे प्रकरण की अलग से जांच कर रही है और जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।




