
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने एक बार फिर गंभीर चूक करते हुए पीसीएस मुख्य परीक्षा 2024 के परिणाम में वही गलती दोहरा दी, जो पहले प्री परीक्षा के परिणाम में हुई थी। सोमवार को जारी मुख्य परीक्षा परिणाम में सामने आई इस त्रुटि ने अभ्यर्थियों को हैरान कर दिया। बाद में अभ्यर्थियों की आपत्तियों और जांच पड़ताल के आधार पर आयोग ने मुख्य परीक्षा का परिणाम निरस्त करके संशोधित परिणाम जारी किया, जिसमें तीन अभ्यर्थियों को परिवीक्षा अधिकारी पद से हटाते हुए नया चयन सूची जारी की गई।
यह मामला उस समय शुरू हुआ जब आयोग ने 23 दिसंबर 2024 को पीसीएस प्री परीक्षा का परिणाम जारी किया था। परिवीक्षा अधिकारी (महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग) पद के लिए 12 अभ्यर्थियों को क्वालिफाई घोषित किया गया था। इनमें शामिल तीन अभ्यर्थी—रोल नंबर 162439, 182463 और 197739—कटऑफ 95.9854 से कम अंक होने के बावजूद पास कर दिए गए थे। इन तीनों के अंक क्रमशः 81.2988, 82.3486 और 91.7894 थे, जो स्पष्ट रूप से निर्धारित कटऑफ से कम थे। अभ्यर्थियों ने इस विसंगति पर सवाल उठाए, लेकिन आयोग की यह गलती यहीं नहीं रुकी।
29 नवंबर 2025 को जारी मुख्य परीक्षा परिणाम में इन्हीं तीन अभ्यर्थियों को फिर से परिवीक्षा अधिकारी पद पर सफल घोषित कर दिया गया। इस गलती का पता तब चला जब कुछ अभ्यर्थियों ने आयोग के सामने प्री और मुख्य परीक्षा के परिणामों की अर्हता और कटऑफ के आधार पर विसंगतियाँ बताईं। जांच में यह स्पष्ट हो गया कि प्री परीक्षा की गलती सीधे-सीधे मुख्य परीक्षा में भी दोहराई गई थी।
आयोग ने तत्काल सुधार करते हुए मुख्य परीक्षा का संशोधित परिणाम जारी किया। इसमें पूर्व के तीनों अभ्यर्थियों को परिवीक्षा अधिकारी पद से हटाकर उन्हें समेकित पदों में स्थानांतरित कर दिया गया। उनकी जगह तीन अभ्यर्थियों—162271 (100.1814 अंक), 219236 (95.9854 अंक) और 245207 (99.6560 अंक)—को मुख्य परीक्षा में सफल घोषित किया गया। ये तीनों अभ्यर्थी न केवल कटऑफ से अधिक अंक प्राप्त करते हैं बल्कि पात्रता की सभी आवश्यक शर्तें भी पूरी करते हैं।
अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग की इस तरह की चूक से परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं। कई प्रतियोगी छात्रों ने सोशल मीडिया पर भी अपनी नाराजगी व्यक्त की है और भविष्य में ऐसी गलतियाँ रोकने के लिए कड़े तंत्र की मांग की है। उधर आयोग का कहना है कि तकनीकी त्रुटि को तुरंत सुधार लिया गया है और अब परिणाम पूरी तरह अर्हता के आधार पर है।
संशोधित रिजल्ट जारी होने के बाद अभ्यर्थियों में राहत तो है, लेकिन आयोग से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग और मजबूत हो गई है।





