
आगरा–दिल्ली हाईवे पर रविवार शाम हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे शहर और दो परिवारों की दुनिया उजाड़ दी। एसएन मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस तृतीय वर्ष के छात्र सिद्ध गर्ग और उनके सहपाठी तनिष्क गुप्ता की बाइक आईएसबीटी के पास डिवाइडर से टकरा गई। टक्कर इतनी भीषण थी कि दोनों छात्र सड़क पर दूर तक घिसटते चले गए, जिससे उनकी पसलियां टूटकर फेफड़ों में धंस गईं। अत्यधिक खून बहने के कारण दोनों की अस्पताल पहुँचने से पहले ही मौत हो गई। रात में हुए पोस्टमार्टम में सामने आया कि तनिष्क और सिद्ध के शरीर पर पांच से अधिक गंभीर चोटें थीं—माथे, ठोड़ी, छाती और घुटनों पर गहरे घाव। बाईं तरफ की कई पसलियां टूटकर फेफड़ों में जा धंसी थीं, जिससे फेफड़े फट गए और यह ही उनकी मौत का प्रमुख कारण बना।
हादसे के बाद पुलिस की देरी को लेकर सिद्ध के पिता ने गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि सूचना देने के बाद भी पुलिस एक घंटे देर से पहुंची, जिसकी वजह से समय पर प्राथमिक उपचार नहीं मिल सका। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि सूचना मिलते ही पांच मिनट में पुलिस पहुंच गई थी और छात्रों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। अब इस मामले में देरी की जांच शुरू कर दी गई है। कालेज के सहपाठियों ने भी बताया कि राहगीरों ने मदद नहीं की, जिसके कारण घायल छात्र काफी देर तक सड़क पर तड़पते रहे, बाद में सहपाठी वहां पहुंचे और उन्हें अस्पताल ले जाया गया।
देर रात सिद्ध का शव जैसे ही कमलानगर स्थित उनके घर पहुंचा, परिवार में कोहराम मच गया। मां शव देखते ही बेहोश होकर गिर पड़ीं। घर में चीख-पुकार मच गई और पूरी कालोनी शोक में डूब गई। सोमवार सुबह किसी भी घर में चूल्हा तक नहीं जला—हर कोई स्तब्ध था, और सिद्ध की पढ़ाई, व्यवहार और उसके सपनों की चर्चा कर रहा था। अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए। छोटे भाई को मुखाग्नि देने के लिए बड़े भाई अक्षत गर्ग जब आगे बढ़े तो उनके हाथ कांप रहे थे, चचेरे भाइयों ने उन्हें संभालकर अंतिम संस्कार पूरा करवाया।
पिता राजेश अग्रवाल का कहना था कि सिद्ध परिवार में पहला डॉक्टर बनने जा रहा था। बहुत होनहार छात्र था—10वीं और 12वीं दोनों में 95% लाया था और पहली बार में नीट क्वालीफाई कर सरकारी सीट पाई थी। आगरा में वैश्य समाज ने उसे सम्मानित भी किया था। पिता का कहना है कि “जब रिश्तेदार और कालोनी वाले उसे ‘डॉक्टर साहब’ कहकर बुलाते थे, तो हमारा सीना गर्व से भर जाता था।’’ लेकिन इसी सपनों से भरे बेटे का शव देखकर अब पूरा परिवार टूट गया है।
तनिष्क गुप्ता का परिवार भी चौपट हो गया है। हरदोई निवासी तनिष्क आगरा में किराए पर रहकर पढ़ाई कर रहा था। उसके माता-पिता भी खबर सुनते ही बदहवास हालत में अस्पताल पहुंचे। दोनों परिवारों के लिए यह हादसा ऐसा घाव बन गया है, जो वर्षों तक नहीं भरेगा। पूरा शहर इस दर्दनाक दुर्घटना से सदमे में है, वहीं हाईवे सुरक्षा और समय पर मदद न मिलने का मुद्दा भी एक बार फिर चर्चा में है।






