
देहरादून। उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए परिवहन विभाग ने नौ विशेषज्ञ एजेंसियों को सड़क सुरक्षा मूल्यांकन कार्य के लिए सूचीबद्ध किया है। ये एजेंसियां राज्यभर में ब्लैक स्पॉट्स की पहचान, क्रैश बैरियर की स्थिति और सड़क सुरक्षा से जुड़ी खामियों का आकलन करेंगी। विभाग ने इन एजेंसियों का पंजीकरण एक वर्ष के लिए किया है, जो अगले वर्ष 31 अगस्त तक प्रभावी रहेगा।
राज्य में हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में 1000 से 1400 लोगों की जान चली जाती है। परिवहन विभाग और पुलिस द्वारा लगातार सड़क सुरक्षा सुधारों पर काम किया जा रहा है, लेकिन अभी भी सुधार की काफी गुंजाइश बनी हुई है। इन एजेंसियों की नियुक्ति का उद्देश्य सड़क सुरक्षा के स्तर को तकनीकी रूप से मजबूत करना और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी सुधारात्मक कदम उठाना है।
सड़क सुरक्षा लीड एजेंसी की ओर से समय-समय पर ब्लैक स्पॉट की पहचान और सुधार कार्यों के लिए विशेष बजट जारी किया जाता है। अब इन नौ अधिकृत फर्मों के माध्यम से पूरे राज्य में इन कार्यों को वैज्ञानिक और व्यवस्थित ढंग से अंजाम दिया जाएगा।
सूचीबद्ध एजेंसियों में एंटीक बिल्टेक (राजस्थान), एसएन इंफ्रा डेवलपमेंट (मध्य प्रदेश), टेकमोडेक (राजस्थान), ट्रांसलिंक इंफ्रास्ट्रक्चर (गुजरात), क्राफ्ट्स कंसल्टेंट (हरियाणा), कंसल्टिंग इंजीनियर ग्रुप (जयपुर), श्वेता टेक्नोफाइल (गाजियाबाद), जयशंकर झा (नोएडा) और टेक्निकल कंसल्टेंसी सर्विसेज (देहरादून) शामिल हैं।
अपर परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इन एजेंसियों की सूचीबद्धता अगले साल 31 अगस्त तक मान्य रहेगी। इस अवधि में राज्य के किसी भी जिले में सड़क सुरक्षा से जुड़ी परियोजनाओं के मूल्यांकन, तकनीकी परामर्श और सुरक्षा सुधार योजनाओं में इनकी सेवाएं ली जा सकेंगी।
राज्य सरकार का मानना है कि इस पहल से न केवल ब्लैक स्पॉट्स और खतरनाक मार्गों की पहचान और सुधार में तेजी आएगी, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में भी उल्लेखनीय कमी लाई जा सकेगी। परिवहन विभाग का लक्ष्य है कि तकनीकी विशेषज्ञता और आधुनिक पद्धतियों के प्रयोग से उत्तराखंड की सड़कें अधिक सुरक्षित और सुगम बनाई जा सकें।




