
देहरादून। निंबूवाला में आयोजित निनाद महोत्सव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के कलाकारों और लेखकों के लिए कई अहम घोषणाएं कीं। उन्होंने वृद्ध और आर्थिक रूप से कमजोर कलाकारों तथा लेखकों की मासिक पेंशन में तीन हजार रुपये की वृद्धि करते हुए इसे छह हजार रुपये प्रतिमाह कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार कला, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्यरत है और समाज के उन सृजनशील लोगों के सम्मान और सहयोग के लिए निरंतर प्रयास करती रहेगी, जिन्होंने जीवनभर अपने कार्यों से राज्य की पहचान को निखारा है।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री धामी ने कलाकारों के हित में चार प्रमुख घोषणाएं कीं। उन्होंने बताया कि अब संस्कृति विभाग में सूचीबद्ध सांस्कृतिक दलों और कलाकारों को मानदेय नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर की तर्ज पर दिया जाएगा, जिससे कलाकारों को राष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाली सुविधाओं का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही उन्होंने प्रत्येक जिले में एक प्रेक्षागृह (सभागार) के निर्माण की घोषणा की, ताकि स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने के लिए उचित मंच उपलब्ध हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और प्रदर्शन के लिए प्रदेश में एक राज्य स्तरीय संग्रहालय और कुमाऊं व गढ़वाल मंडल में एक-एक मंडल स्तरीय संग्रहालय का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल कला और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगी, बल्कि इससे आने वाली पीढ़ियों को भी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ाव महसूस होगा।
धामी ने कहा कि निनाद महोत्सव जैसे आयोजन यह दर्शाते हैं कि भौगोलिक सीमाएं हमें बांट नहीं सकतीं। हम सब एक साझा विरासत और एक साझा हिमालय की चेतना से जुड़े हुए हैं। राज्य आंदोलनकारियों की स्मृति हमें सदैव याद दिलाती है कि यह राज्य हमें कितने बलिदानों, संघर्षों और जनसमर्पण के बाद प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम उस आंदोलन की भावना को जीवित रखें और नई पीढ़ी को उस संघर्ष की प्रेरणा देते रहें।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी, कलाकार, साहित्यकार और सांस्कृतिक कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। निनाद महोत्सव के इस अवसर पर राज्य की विविध सांस्कृतिक झलकियां प्रस्तुत की गईं, जिनमें पारंपरिक लोकनृत्य, लोकगीत और नाट्य प्रस्तुतियां शामिल रहीं, जिन्होंने दर्शकों को उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा से रूबरू कराया।




