
🌸 दिवाली का पावन अवसर और माता लक्ष्मी की आराधना
दिवाली, यानी प्रकाश का पर्व, भारतीय संस्कृति में सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आध्यात्मिक पुनर्जागरण का क्षण है। यह दिन अंधकार पर प्रकाश की, अज्ञान पर ज्ञान की और दुर्भाग्य पर सौभाग्य की विजय का प्रतीक है। कार्तिक अमावस्या की रात जब लाखों दीप जलते हैं, तो माना जाता है कि उस समय मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जिन घरों में स्वच्छता, श्रद्धा और भक्ति होती है, वहां स्थायी रूप से निवास करती हैं। मां लक्ष्मी की पूजा में कमल का फूल अनिवार्य माना गया है। उनके हाथों में, आसन में और आभामंडल में हर ओर कमल की छवि दिखाई देती है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर देवी लक्ष्मी को कमल ही क्यों इतना प्रिय है? इसके पीछे गहरी पौराणिक कथाएं, आध्यात्मिक प्रतीक और वैज्ञानिक अर्थ छिपे हैं।
🌺 समुद्र मंथन से प्रकट हुईं कमलासना लक्ष्मी
पुराणों के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया, तो उस मंथन से अनेक दिव्य वस्तुएं उत्पन्न हुईं — चंद्रमा, कल्पवृक्ष, कामधेनु, पारिजात आदि। इन्हीं में से एक दिव्य पुष्प पर माता लक्ष्मी प्रकट हुईं, जो एक गुलाबी कमल पर विराजमान थीं। इसलिए उन्हें कमला, कमलासना और पद्मप्रिया जैसे नामों से जाना जाता है। कमल उस क्षण का प्रतीक था जब शुद्धता और सौंदर्य ने सृष्टि में प्रवेश किया। इसी कारण से, मां लक्ष्मी को कमल पुष्प अत्यंत प्रिय है और उनका आसन भी कमल का ही है।
🌿 भगवान विष्णु और कमल का दिव्य संबंध
शास्त्रों में लिखा गया है कि भगवान विष्णु की नाभि से कमल उत्पन्न हुआ, और उसी कमल से ब्रह्मा जी का जन्म हुआ, जिन्होंने सृष्टि की रचना की। इस प्रकार, कमल सृष्टि, ज्ञान और स्थिरता का प्रतीक बन गया। चूंकि लक्ष्मी जी भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं, इसलिए कमल उनके साथ भी जुड़ गया। एक अन्य कथा के अनुसार, विष्णु जी के सिर से कमल उत्पन्न हुआ, और उसी से लक्ष्मी जी का प्राकट्य हुआ। इसीलिए देवी लक्ष्मी के सभी चित्रों और मूर्तियों में उन्हें कमल पर विराजमान दिखाया जाता है। कमल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह कीचड़ में खिलता है, लेकिन कीचड़ से अछूता रहता है — यह संदेश देता है कि भौतिक संसार में रहकर भी मनुष्य पवित्रता और आत्म-संयम बनाए रख सकता है। यही गुण लक्ष्मी साधना का मूल तत्व है।
💫 कमल का प्रतीकात्मक अर्थ — भक्ति, पवित्रता और उन्नति
कमल के फूल का हर पहलू मां लक्ष्मी के स्वरूप से जुड़ा हुआ है —
- इसकी सुंदरता, देवी के सौंदर्य और आकर्षण का प्रतीक है।
- इसका सुगंध, शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
- और इसका कीचड़ से ऊपर उठकर खिलना, आत्म-बल और जीवन में उन्नति का संकेत है।
कमल यह भी सिखाता है कि समृद्धि तभी टिकाऊ है जब उसके साथ आत्म-संयम और पवित्रता जुड़ी हो। इसीलिए, देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए सिर्फ भौतिक पूजन नहीं, बल्कि मन की स्वच्छता और विचारों की निर्मलता भी आवश्यक है।
🔱 कमल अर्पित करने के तीन दिव्य लाभ
1️⃣ धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति
दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन में कमल का फूल चढ़ाने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। शास्त्र कहते हैं कि कमल के फूल से पूजा करने पर मां लक्ष्मी स्थायी रूप से उस घर में निवास करती हैं। सुख, सौभाग्य और व्यापार में उन्नति होती है।
2️⃣ सकारात्मक ऊर्जा और नकारात्मकता से मुक्ति
कमल के फूल को ऊर्जा शुद्धि का प्रतीक माना गया है। इस फूल की प्राकृतिक सुगंध और कंपनों से घर का वातावरण शुद्ध और शांत बनता है। दिवाली पर कमल अर्पित करने से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं, और घर में संतुलन और समृद्धि का प्रवाह बढ़ता है।
3️⃣ मान-सम्मान और आध्यात्मिक विकास
कमल पुष्प पवित्रता और स्थिरता का प्रतीक है। इसे पूजा में शामिल करने से व्यक्ति के सामाजिक सम्मान, प्रतिष्ठा और मानसिक एकाग्रता में वृद्धि होती है। यह साधक को भक्ति और आत्मविकास के मार्ग पर अग्रसर करता है, जिससे लक्ष्मी केवल भौतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक समृद्धि भी प्रदान करती हैं।
मां लक्ष्मी केवल सोने-चांदी या धन की देवी नहीं हैं, बल्कि सौंदर्य, शांति, पवित्रता और सद्गुणों की अधिष्ठात्री शक्ति हैं। कमल उनके साथ इसीलिए जुड़ा है क्योंकि यह निर्मलता और आत्मबल का प्रतीक है। दिवाली के अवसर पर जब हम दीप जलाकर उन्हें कमल अर्पित करते हैं, तो यह केवल पूजा नहीं होती — यह अपने भीतर के अंधकार को मिटाने और प्रकाश को जगाने का संकल्प होता है।

 
                        






