
देहरादून: उत्तराखंड में चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग ने दो और पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को नोटिस जारी किया है। इससे पहले आयोग ने कुल 17 दलों को सूची से बाहर कर दिया था। इस कार्रवाई का मकसद उन दलों को नियमों के अनुरूप ऑडिट रिपोर्ट और चुनाव खर्च विवरण पेश करने के लिए बाध्य करना है।
🔹 नोटिस प्राप्त दल और कारण
चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किए हैं:
- भारतीय सर्वोदय पार्टी – 152/126 पटेल नगर (पश्चिम), देहरादून
- उत्तराखंड प्रगतिशील पार्टी – 13-सुभाष रोड, सेंट जोसेफ स्कूल के पिछले गेट के सामने, देहरादून
इन दलों ने 2019 से अब तक विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाग लिया, लेकिन अपनी वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट और चुनाव व्यय विवरण आयोग में जमा नहीं कराई।
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, विधान सभा चुनाव के 75 दिन और लोकसभा चुनाव के 90 दिन के भीतर रिपोर्ट जमा करना अनिवार्य होता है। इस संबंध में आयोग ने इन दोनों दलों को 13 अक्टूबर तक अपना पक्ष रखने का समय दिया है।
🔹 चुनाव आयोग की प्रक्रिया और नियम
राजनैतिक दल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-29 के अंतर्गत पंजीकृत होते हैं। पंजीकरण मिलने के बाद आयोग की ओर से दलों को कई तरह के लाभ दिए जाते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- आयकर में छूट (Income Tax Act की धारा 13 के अंतर्गत)
- मान्यता और चुनाव प्रतीक का आवंटन (प्रतीक आदेश के पैरा 6 एवं 10B के तहत)
- स्टार प्रचारकों का नामांकन और आरक्षित चुनाव प्रतीक
यदि दल समय पर अपनी रिपोर्ट और ऑडिट प्रस्तुत नहीं करता है, तो आयोग उसे सूची से हटा सकता है और भविष्य में चुनावी सुविधाएं नहीं मिलेंगी।
🔹 पिछले हटाए गए दलों की स्थिति
पिछले वर्षों में आयोग ने 17 ऐसे पंजीकृत अमान्यता प्राप्त दलों को सूची से बाहर किया है, जो अपने वित्तीय रिकॉर्ड या चुनाव खर्च विवरण प्रस्तुत नहीं कर पाए। इनमें कई दलों ने चुनाव लड़ा लेकिन वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं की।
नोटिस जारी करने की यह प्रक्रिया यह दर्शाती है कि चुनाव आयोग सभी दलों की जवाबदेही और वित्तीय पारदर्शिता पर कड़ी निगरानी रखता है।
🔹 दलों के लिए संभावित परिणाम
यदि ये दोनों दल निर्धारित समय तक रिपोर्ट पेश नहीं करते हैं, तो:
- पंजीकृत सूची से बाहर किए जाएंगे।
- चुनावी प्रतीक और वित्तीय लाभ रद्द होंगे।
- भविष्य में चुनावों में भाग लेने के अधिकार पर प्रभाव पड़ेगा।
इस तरह की कार्रवाई लोकतंत्र में पारदर्शिता बनाए रखने, नियमों का पालन सुनिश्चित करने और जनता को सही जानकारी देने के लिए जरूरी है।
🔹 चुनाव आयोग का बयान
आयोग ने कहा है कि यह कदम उन दलों के खिलाफ है, जो चुनावों में सक्रिय रहने के बावजूद अपनी वित्तीय रिपोर्ट नहीं देते। आयोग का उद्देश्य है कि सभी पंजीकृत दल अपनी वित्तीय जवाबदेही निभाएं और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।