
मुंबई। नवरात्रि के पहले दिन से लागू हुई जीएसटी की नई दरें आम उपभोक्ताओं की जेब और बाजार दोनों पर सीधा असर डाल रही हैं। सरकार ने करीब 413 उत्पादों पर टैक्स घटाया है, जिससे रोजमर्रा की वस्तुएं और कई सेवाएं सस्ती हो गई हैं। वहीं, कुछ लग्जरी और महंगी वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाकर 40 प्रतिशत तक कर दिया गया है, जिससे उनका इस्तेमाल महंगा हो जाएगा।
रोजमर्रा की चीजें और स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती
नई दरों के लागू होने के बाद सबसे बड़ा फायदा आम आदमी को मिला है। दवाइयों, स्वास्थ्य सेवाओं और बीमा पॉलिसियों पर टैक्स घटा दिया गया है। इससे व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा पॉलिसी लेना पहले से आसान होगा। रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले टीवी, फ्रिज, एसी, वॉशिंग मशीन, टू-व्हीलर और कारें भी अब अपेक्षाकृत सस्ती हो गई हैं।
किसानों और ग्रामीण उपभोक्ताओं को राहत
कृषि उपकरणों और खेती-किसानी के लिए जरूरी मशीनरी की कीमतें भी नई दरों के साथ घट गई हैं। इससे किसानों को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा। बीज, उर्वरक और कुछ प्रकार के कीटनाशकों पर भी टैक्स दरों में कमी की गई है।
त्योहारी सीजन में मिलेगी अतिरिक्त बचत
नवरात्रि से लेकर दीपावली तक का समय बाजार के लिए सबसे अहम होता है। ऐसे में 413 वस्तुओं की कीमतें घटने से उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ कम होगा और त्योहारों पर खर्च करने की उनकी क्षमता बढ़ेगी। कारोबारियों को उम्मीद है कि इस बार इलेक्ट्रॉनिक, ऑटोमोबाइल और होम अप्लायंसेस की बिक्री में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो सकती है।
किन वस्तुओं पर महंगा हुआ खर्च
सरकार ने कुछ महंगी और लग्जरी श्रेणी की वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाकर सीधा 40 प्रतिशत तक कर दिया है। इसमें महंगी कारें, प्रीमियम इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, ज्वैलरी और कुछ आयातित सामान शामिल हैं। इन पर टैक्स बढ़ने से उनके दाम स्वतः बढ़ जाएंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका असर केवल उच्च आय वर्ग के उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
किसे फायदा और किसे नुकसान
- फायदा:
- आम उपभोक्ता (दवाइयां, बीमा, घरेलू उपकरण सस्ते)
- किसान और ग्रामीण उपभोक्ता (कृषि उपकरण, उर्वरक सस्ते)
- मध्यम वर्ग (टीवी, फ्रिज, टू-व्हीलर जैसी वस्तुएं सस्ती)
- नुकसान:
- लग्जरी सामान खरीदने वाले लोग (महंगी कारें, आयातित प्रोडक्ट्स महंगे)
- ज्वैलरी और प्रीमियम ब्रांड्स खरीदने वाले उपभोक्ता
बाजार की प्रतिक्रिया
मुंबई और दिल्ली के थोक व्यापारियों का कहना है कि नई दरों से मध्यम वर्ग और निचले वर्ग की खपत में तेज़ी आएगी। वहीं, लग्जरी प्रोडक्ट्स के कारोबारियों को आशंका है कि टैक्स बढ़ने से इस वर्ग के ग्राहकों की मांग थोड़ी कम हो सकती है।
विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह बदलाव सरकार की दोहरी रणनीति को दर्शाता है। एक तरफ वह मध्यम और निम्न वर्ग को राहत देकर घरेलू खपत बढ़ाना चाहती है, वहीं दूसरी तरफ लग्जरी सामान पर टैक्स बढ़ाकर राजस्व संग्रह को भी मजबूत कर रही है।