
- हरियाणा के समालखा थाना क्षेत्र के गांव पंचवटी निवासी 20 वर्षीय आयुर्वेद छात्र हिमांशु ने 6 सितंबर की शाम यमुना में कूदकर आत्महत्या कर ली थी।
- दोस्तों को मैसेज भेजकर दी थी खुदकुशी की सूचना।
- पीएसी और गोताखोरों ने कई दिन तक की तलाश, लेकिन सफलता नहीं मिली।
- सात दिन बाद बागपत के छपरौली थाना क्षेत्र में मिला शव, परिजनों में मातम।
शामली | हरियाणा के थाना समालखा के गांव पंचवटी निवासी हिमांशु (20) आयुर्वेद की पढ़ाई कर रहा था। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से वह मानसिक तनाव और डिप्रेशन से गुजर रहा था। 6 सितंबर की शाम को हिमांशु यमुनानगर पहुंचा और पुराने पुल पर जाकर खड़ा हो गया। इसी दौरान उसने अपने कुछ करीबी दोस्तों को मोबाइल फोन पर मैसेज भेजा। मैसेज में साफ लिखा था कि वह परेशान है और अपनी जिंदगी खत्म करने जा रहा है। मैसेज भेजने के तुरंत बाद उसने पुल से छलांग लगा दी।
तलाश में नाकामी
जैसे ही घटना की सूचना पुलिस और परिजनों तक पहुंची, तुरंत पीएसी की फ्लड यूनिट और गोताखोरों को यमुना में खोजबीन के लिए लगाया गया। कई दिनों तक लगातार सर्च अभियान चलाया गया, लेकिन पानी के तेज बहाव और नदी की गहराई के चलते उसका कोई सुराग नहीं मिल सका।
सात दिन बाद शव बरामद
आख़िरकार सात दिन बाद, शनिवार दोपहर को हिमांशु का शव बागपत जनपद के छपरौली थाना क्षेत्र के गांव जागोश के पास यमुना नदी में तैरता मिला। छपरौली पुलिस ने शव को नदी से बाहर निकलवाया और परिजनों को पहचान के लिए बुलाया।
पहचान की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। शव की हालत काफी खराब हो चुकी थी और वह पूरी तरह फूल चुका था।
परिजनों का दर्द
हिमांशु के ताऊ ओमप्रकाश ने फोन पर जानकारी दी कि उनका भतीजा कई दिनों से लापता था। पूरे परिवार को उम्मीद थी कि शायद वह कहीं और चला गया हो, लेकिन नदी से शव मिलने की खबर ने सारी उम्मीदें तोड़ दीं। गांव और परिवार में मातम का माहौल है।
जांच और सवाल
पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिरकार हिमांशु को किस वजह से डिप्रेशन हुआ और उसने यह खौफनाक कदम क्यों उठाया। क्या यह निजी रिश्तों का तनाव था, पढ़ाई का दबाव या फिर कोई और कारण, इसकी जांच की जा रही है।
मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल
यह घटना एक बार फिर समाज के सामने गंभीर सवाल खड़े करती है। युवा छात्र-छात्राओं में बढ़ता डिप्रेशन, पढ़ाई का दबाव, करियर को लेकर चिंता और मानसिक असुरक्षा कई बार उन्हें ऐसे कदम उठाने पर मजबूर कर देती है। विशेषज्ञ लगातार यह कहते आए हैं कि मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना खतरनाक है और परिवार व समाज को इसके प्रति संवेदनशील होना होगा।