
देहरादून। उत्तराखंड में लंबे समय से संविदा पर कार्य कर रहे कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत की खबर सामने आई है। राज्य सरकार ने संकेत दिए हैं कि चार दिसंबर 2008 तक नियुक्त संविदाकर्मियों का नियमितीकरण किया जा सकता है। इसके लिए नई नियमितीकरण नियमावली 2025 का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है, जिसे जल्द ही कैबिनेट के समक्ष पेश किया जाएगा।
सीएम धामी की घोषणा पर बनी समिति
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के बाद 28 अगस्त को मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। इसमें सचिव कार्मिक शैलेश बगौली, सचिव वित्त दिलीप जावलकर, अपर सचिव न्याय मनीष कुमार पांडे, अपर सचिव कार्मिक नवनीत पांडे और अपर सचिव वित्त गंगा प्रसाद शामिल रहे। बैठक में संविदाकर्मियों के भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा हुई।
पहले भी बनी थीं नियमावलियां
बैठक में बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आलोक में राज्य में पहले भी नियमितीकरण की नियमावलियां लागू की गई थीं।
- नियमावली 2011: इसमें एक नवंबर 2011 को 10 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले दैनिक वेतन, कार्यप्रभारित, संविदा, नियत वेतन, अंशकालिक और तदर्थ कार्मिकों को नियमित करने का प्रावधान था।
- नियमावली 2013: इसके तहत 30 दिसंबर 2013 तक कम से कम पांच वर्ष की निरंतर सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों को नियमित करने का नियम बनाया गया। हालांकि, इस पर 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।
कोर्ट का आदेश और पुनर्विचार
बाद में नरेंद्र सिंह बनाम राज्य मामले में हाईकोर्ट ने 22 फरवरी 2024 को आदेश दिया कि पांच वर्ष की सीमा को 10 वर्ष किया जाए। इस आदेश का गहन अध्ययन करने के बाद सरकार ने तय किया कि हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर की तारीख 4 दिसंबर 2018 से 10 वर्ष पूर्व तक नियुक्त कर्मचारियों (यानी 4 दिसंबर 2008 तक) का नियमितीकरण प्रस्तावित किया जाएगा।
नई नियमावली 2025
सरकार अब 2013 की नियमावली के नियम चार के उपनियम-1 में संशोधन करने जा रही है। इसके तहत दैनिक वेतन, कार्यप्रभारित, संविदा, नियत वेतन, अंशकालिक और तदर्थ नियुक्त कार्मिकों के नियमितीकरण की संशोधित नियमावली 2025 कैबिनेट में रखी जाएगी। निर्णय होने के बाद प्रक्रिया शुरू होगी।
आउटसोर्सिंग कर्मचारी नहीं होंगे शामिल
महत्वपूर्ण बात यह है कि यह प्रावधान केवल उन्हीं श्रेणियों पर लागू होगा जिनका उल्लेख पुरानी नियमावलियों में है। आउटसोर्सिंग एजेंसी (जैसे उपनल) के कर्मचारी इस दायरे में शामिल नहीं होंगे।