
नेपाल में चल रहे हिंसक आंदोलन ने देहरादून में रह रहे नेपाल मूल के परिवारों की चिंता को और गहरा कर दिया है। कई लोग लगातार अपने परिजनों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन नेटवर्क बाधित होने के कारण बातचीत मुश्किल हो रही है। किसी का फोन लग रहा है तो किसी का बिल्कुल नहीं। ऐसे में लोग अपने परिजनों की सुरक्षा को लेकर दिन-रात सहमे और चिंतित हैं।
फोन नहीं लगने से बढ़ी बेचैनी
देहरादून निवासी सूर्य विक्रम शाही ने बताया कि उनका परिवार नेपाल में ही रहता है। हिंसक आंदोलन शुरू होने के बाद से केवल एक भाई से कभी-कभार बात हो पा रही है, बाकी सदस्यों का फोन नहीं लग रहा। भाई ने भी स्थिति को ठीक न बताते हुए कहा कि वहां न गाड़ियां चल रही हैं, न कोई गतिविधि हो रही है।
परिवार से बिछड़ने का दर्द
मोहब्बेवाला की उर्मिला तमांग के बेटों की पत्नियां नेपाल से ही हैं। हिंसा की खबरों के बाद से वे गहरी चिंता में हैं। बार-बार फोन मिलाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन हर बार सफल नहीं हो पा रहीं। परिवार की चिंता में दोनों बहुओं की आंखों से आंसू तक निकल रहे हैं।
हालात जानने को मोबाइल पर नजरें
चंद्रबनी के सेवला कला निवासी सोना शाही का मायका नेपाल में है। हिंसक आंदोलन की खबर के बाद से उन्होंने फोन पर संपर्क साधने की कोशिश जारी रखी है। कभी बात हो जाती है तो कभी फोन नहीं लगता। उन्होंने कहा कि परिवार के हालात जानने की बेचैनी हर समय बनी हुई है।
चिंता और आक्रोश
नेपाल की शांति भंग होने से यहां के लोगों में भी आक्रोश और दुख है।
- मिन प्रसाद गुरुंग ने कहा कि “नेपाल हमेशा से शांति प्रिय देश रहा है, लेकिन मौजूदा हालात ने सबको हिला दिया है। इस प्रकार के आंदोलन से कुछ हासिल नहीं होगा।”
- बबिता (नई बस्ती, क्लेमेंटटाउन) ने कहा कि “कभी सोचा भी नहीं था कि नेपाल जैसे देश में इस तरह का हिंसक आंदोलन होगा। सभी को धैर्य और शांति से काम लेना चाहिए।”
बढ़ती बेचैनी
देहरादून में नेपाल मूल के लोग हर समय फोन और समाचार चैनलों पर नज़रें गड़ाए रहते हैं। किसी को अपने परिवार की चिंता है, तो किसी को देश के बिगड़ते हालात से धक्का लगा है। लोग दुआ कर रहे हैं कि नेपाल जल्द ही शांति और स्थिरता की राह पर लौटे।





