
श्रीनगर गढ़वाल। टिहरी जिला विकास प्राधिकरण के कानून और फ्रीज जोन की अधिसूचना को लेकर मलेथा गांव के ग्रामीणों ने बुधवार को बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। देवप्रयाग जन अधिकार मोर्चा के बैनर तले ग्रामीणों ने कीर्तिनगर स्थित एसडीएम कार्यालय पहुंचकर जोरदार नारेबाजी की और प्राधिकरण के आदेश को “काला कानून” बताते हुए इसे तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग की।
ग्रामीणों का आरोप: जानकारी दिए बिना लागू किया गया कानून
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे गणेश भट्ट ने कहा कि रेलवे परियोजना शुरू होने से पहले स्थानीय ग्रामीणों को यह नहीं बताया गया कि मलेथा पर जिला विकास प्राधिकरण का कानून लागू होगा और धारा-7 के तहत क्षेत्र को “फ्रीज जोन” घोषित कर दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि अचानक नियम लागू कर ग्रामीणों को अपने ही घर और दुकानों के निर्माण से रोकने का काम किया जा रहा है।
निर्माण कार्य पर रोक और नोटिस से ग्रामीण परेशान
ग्रामीणों का कहना है कि वे अपने मकान और दुकान का निर्माण करना चाहते हैं, लेकिन प्राधिकरण की ओर से नोटिस जारी कर निर्माण कार्य रुकवा दिया जा रहा है। साथ ही रेलवे सुरंग के विस्फोटों से हुए नुकसान का अब तक कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि रेलवे स्टेशन के आसपास 400 मीटर की परिधि में नए निर्माण को रोकना इस बात का संकेत है कि भविष्य में इस भूमि को बड़े उद्योगपतियों को सौंपने की तैयारी की जा रही है।
विधायक पर भी लगाए आरोप
गणेश भट्ट ने कहा कि क्षेत्रीय विधायक विनोद कंडारी को वर्ष 2024 में ही मलेथा में प्राधिकरण कानून लागू होने की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने ग्रामीणों को न तो चेताया और न ही इसे रोकने की कोशिश की। इससे यह संदेह पैदा होता है कि सरकार ग्रामीणों की जमीन उद्योगपतियों को देना चाहती है।
महिलाओं ने भी जताया विरोध
मोर्चा की सदस्य बीना चौधरी और अन्य ग्रामीण महिलाओं ने कहा कि नोटिस और जीओ को तत्काल रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया तो वे राज्य स्तर पर बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
ज्ञापन सौंपा, SDM ने दिए आश्वासन
प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने उप जिलाधिकारी नीलू चावला को ज्ञापन भी सौंपा। चावला ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि मलेथा में भवनों को हुए नुकसान की दोबारा से सर्वे कराया जाएगा और प्रतिकार भुगतान देने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द ही ग्रामीणों को अवगत कराया जाएगा।
आंदोलन की चेतावनी
ग्रामीणों ने साफ कहा कि जब तक जीओ को निरस्त नहीं किया जाता और मुआवजे की ठोस कार्यवाही नहीं होती, तब तक वे आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे। उनका कहना है कि मलेथा के अस्तित्व और भविष्य की रक्षा के लिए यह संघर्ष और तेज होगा।





