
देहरादून/उत्तरकाशी। धराली और आसपास के क्षेत्रों में पांच अगस्त को बादल फटने से आई भीषण आपदा के बाद राहत और बचाव अभियान लगातार जारी है। शनिवार को ऑपरेशन का पांचवां दिन है, और अब तक 729 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। शुक्रवार को ही 257 फंसे लोगों को एयरलिफ्ट और सड़क मार्ग से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया, जबकि शनिवार सुबह तक 52 और लोगों को आईटीबीपी कैंप मातली लाया गया।
आपदा क्षेत्र में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, सेना, पुलिस, फायर और राजस्व विभाग की टीमें चौबीसों घंटे काम कर रही हैं। थर्मल इमेजिंग, विक्टिम लोकेटिंग कैमरे और खोजी कुत्तों जैसी उन्नत तकनीकों की मदद से मलबे के नीचे और दुर्गम स्थानों पर फंसे लोगों की तलाश की जा रही है।
मौसम ने दी राहत, रेस्क्यू में तेजी
शनिवार सुबह मौसम साफ़ होने से हर्षिल-धराली क्षेत्र में बचाव अभियान में तेजी आई। डीजीपी दीपम सेठ ने बताया कि वायुसेना और यूकाडा (UCADA) के हेलिकॉप्टरों से बड़ी मात्रा में राहत सामग्री, रसद और मशीनरी पहुंचाई गई है। लक्ष्य है कि आज के दिन बचे हुए सभी यात्रियों और स्थानीय लोगों को सुरक्षित निकाल लिया जाए। लिमचिगाढ़ में आपदा के कारण पुल बह जाने से यातायात ठप हो गया था। सेना और इंजीनियरिंग कोर के जवान पूरी रात बैली ब्रिज के निर्माण में जुटे रहे, ताकि जल्द से जल्द सड़क संपर्क बहाल किया जा सके।
सेना का शिविर भी बहा
बादल फटने से आई बाढ़ और मलबे के सैलाब ने हर्षिल में सेना के एक शिविर को भी भारी नुकसान पहुंचाया। कई संरचनाएं बह गईं और उपकरण नष्ट हो गए। सेना ने राहत कार्यों में लगे जवानों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया और उपकरणों को बचाने का प्रयास किया। आपदा के बाद हर्षिल क्षेत्र में एक नई झील का भी निर्माण हो गया है, जिसे लेकर आपदा प्रबंधन विभाग सतर्क है। विशेषज्ञ इसकी निगरानी कर रहे हैं, ताकि किसी संभावित खतरे को समय रहते रोका जा सके।
मुख्यमंत्री का ग्राउंड जीरो से मोर्चा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार तीसरे दिन ग्राउंड जीरो पर मौजूद रहे। उन्होंने प्रभावित लोगों से मुलाकात कर हाल जाना और अधिकारियों को त्वरित राहत व पुनर्वास के निर्देश दिए। मातली हेलिपैड से उन्होंने हेलिकॉप्टर के माध्यम से राहत सामग्री की खेप रवाना की। चिनूक और एमआई-17 हेलिकॉप्टरों की मदद से फंसे लोगों को बाहर निकाला जा रहा है और आवश्यक मशीनरी आपदा स्थल तक पहुंचाई जा रही है।
राज्य सरकार ने बिजली, पानी, संचार और सड़क संपर्क बहाल करने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास शुरू कर दिए हैं। साथ ही, प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और फसलों व संपत्तियों के नुकसान का आकलन करने के निर्देश जिला प्रशासन को दिए गए हैं।