
आगरा | धर्मांतरण के नाम पर चल रहे गिरोह का चेहरा अब और भयावह होता जा रहा है। आगरा पुलिस की शुरुआती जांच में जो मामला धार्मिक पहचान बदलवाने तक सीमित लग रहा था, अब वह अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी, अंग व्यापार और साइबर नेटवर्किंग का जाल बनता जा रहा है। मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान की गिरफ्तारी के बाद हुए खुलासों से देशभर में हलचल मच गई है और पुलिस ने अब इस मामले की तफ्तीश के लिए CBI की मदद लेने का निर्णय लिया है।
कैसे खुली परतें: दो लड़कियों की गुमशुदगी से उजागर हुआ मामला
मार्च 2025 में आगरा के सदर क्षेत्र से एक व्यापारी की दो बेटियां संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गई थीं। 18 जुलाई को ये लड़कियां कोलकाता के तपसिया क्षेत्र से बरामद की गईं। पूछताछ में उनके साथ धर्मांतरण और विदेश भेजे जाने की साजिश का खुलासा हुआ। इसी कड़ी में 19 जुलाई को छह राज्यों से 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें अब्दुल रहमान का नाम प्रमुख था।
इसके बाद दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल से लेकर कनाडा तक फैले इस नेटवर्क की परतें खुलनी शुरू हुईं।
अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी और अंग व्यापार का जाल
पुलिस आयुक्त दीपक कुमार के अनुसार, पूछताछ में यह साफ हुआ कि यह गिरोह कमजोर वर्ग, मजदूर, और निर्धन लड़कियों को धर्मांतरण के बहाने फंसाकर विदेश भेजता था। वहां उनका उपयोग या तो यौन शोषण, मानव अंगों की तस्करी या दास श्रम के लिए किया जाता था।
“कुछ मामलों में तो यह भी सामने आया है कि विदेश पहुंचने के बाद लड़कियों के हर अंग की बोली लगाई जाती थी,” — पुलिस सूत्र।
हालांकि अब तक कोई प्रत्यक्ष पीड़ित सामने नहीं आया है, लेकिन गिरोह के सदस्यों से मिली जानकारियों के आधार पर जांच और गिरफ्तारी तेज कर दी गई है।
गिरोह का सरगना कनाडा में बैठा था, CBI की मदद से होगी गिरफ्तारी
पूरे नेटवर्क की कमान मध्य प्रदेश के रहने वाले सैयद दाऊद के पास थी, जो कनाडा से रिमोटली गिरोह को संचालित कर रहा था। उस पर ग़ैर-जमानती वारंट जारी हो चुके हैं, और अब CBI की मदद से उसकी गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। पुलिस के अनुसार, सीबीआई ही विदेशी नेटवर्क में हस्तक्षेप कर सकती है, और इसीलिए केंद्र को पत्र भेजा जा रहा है।
हज़ारों युवाओं का जबरन धर्मांतरण, अधिकतर चुप
पुलिस के अनुसार, गिरोह ने 100 से 200 नहीं, बल्कि 1000 से अधिक युवाओं का धर्म परिवर्तन कराया है। इनमें अधिकतर वंचित वर्ग के लोग शामिल हैं, जिनमें से कई स्वेच्छा से सामने आने से डर रहे हैं। जिनके माता-पिता या परिजन पीड़ित हैं, वे पुलिस से संपर्क में हैं और मुख्य गवाह बनाए जा रहे हैं ताकि अदालत में आरोपियों को सजा दिलाई जा सके।
पाकिस्तान से भी जुड़े तार: कॉल डिटेल में मिले 6 पाकिस्तानी नंबर
अब्दुल रहमान की कॉल डिटेल में 6 पाकिस्तानी नंबर पाए गए हैं। अब यह पता लगाया जा रहा है कि इन नंबरों से बात करने वाले लोग गिरोह को किन-किन तरीकों से मदद पहुंचा रहे थे – चाहे फंडिंग हो, टेक्निकल सहायता या फिर पासपोर्ट व वीज़ा संबंधी सेटअप।
गिरफ्तार आरोपी और कानूनी कार्रवाई
अब तक गिरफ्तार किए गए आरोपियों में शामिल हैं:
- अब्दुल रहमान (मुख्य आरोपी)
- उसके दो बेटे
- रहमान कुरैशी
- आयशा उर्फ एसबी कृष्णा
- अली हसन उर्फ शेखर
- ओसामा, अब्बू तालिब, मोहम्मद रहमान, जुनैद कुरैशी, मुस्तफा, मोहम्मद अली उर्फ पियूष पंवार, इत्यादि।
इनमें से कई आरोपियों ने सीजेएम कोर्ट में जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया है। बुधवार को इन पर सुनवाई हुई, जिसमें अभियोजन अधिकारी ने इनके कॉल रिकॉर्ड, बैंक ट्रांजैक्शन, विदेशी संपर्कों और पीड़ितों से जुड़ी कड़ियों के सत्यापन की मांग की।
अपराध की जड़: धर्म, गरीबी और लालच का त्रिकोण
यह मामला साफ दिखाता है कि कैसे धर्मांतरण की आड़ में अपराधी गिरोह गरीबी और अज्ञानता का लाभ उठाकर मासूमों की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। यह सिर्फ धार्मिक पहचान बदलने का मामला नहीं, बल्कि पूरी तरह से मानवाधिकारों, संवैधानिक मूल्यों और सामाजिक तानेबाने पर हमला है।
जरूरत है राष्ट्रव्यापी अभियान की
अब जब यह स्पष्ट हो चुका है कि यह सिंडिकेट राष्ट्रीय सीमाओं से परे और घातक इरादों वाला है, तो इसकी जांच को सीबीआई, एनआईए और खुफिया एजेंसियों के समन्वय से चलाया जाना चाहिए। साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों को आक्रामक जागरूकता अभियान, पुनर्वास योजनाएं और कानूनी संरक्षण उपायों पर तुरंत काम शुरू करना चाहिए।