
उत्तरकाशी | उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले के धराली और हर्षिल क्षेत्र में हाल ही में आई आपदा ने न सिर्फ पहाड़ों को झकझोर दिया, बल्कि यहां आए पर्यटकों की रूह भी कांप गई। हरियाणा के सोनीपत निवासी राम तीरथ और उनकी पत्नी बबीता उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने इस भयावह आपदा को अपनी आंखों के सामने घटते देखा।
राम तीरथ और उनकी पत्नी पिछले 24 घंटों से धराली के पास फंसे हुए थे। वह बताते हैं, “मंगलवार दोपहर करीब डेढ़ बजे अचानक अफरातफरी मच गई। लोग चीखने लगे और देखते ही देखते पूरा बाजार मलबे में दब गया। हम बाजार से कुछ दूरी पर थे, इसलिए बच गए, लेकिन जो देखा उसे शायद ही कभी भूल पाएं।”
आंखों के सामने बह गया बच्चा, रात सड़क पर बितानी पड़ी
राम तीरथ ने बताया कि उन्होंने एक 10 साल के बच्चे को पेड़ पर चढ़े हुए देखा, जो मलबे में बह गया। उन्होंने कहा, “शायद मुश्किल से तीन-चार लोग ही रहे होंगे जो किसी तरह भागकर अपनी जान बचा सके। बाकी सब कुछ एक मिनट में तबाह हो गया।”
आपदा के बाद नेटवर्क पूरी तरह से ठप हो गया था, जिससे लोगों से संपर्क करना नामुमकिन हो गया। रातभर राम तीरथ और उनकी पत्नी सड़क किनारे भूखे-प्यासे बैठे रहे। कुछ घंटे बाद एक जंगल के पास वन विभाग का कमरा मिला, तो कुछ राहत मिली, लेकिन पूरी रात दोनों सो नहीं पाए।
अगली सुबह सेना के जवान वहां पहुंचे और 24 घंटे बाद इन दोनों को हेलिकॉप्टर की मदद से धराली से रेस्क्यू कर भटवाड़ी लाया गया। फिलहाल वे भटवाड़ी में रुके हुए हैं और अपने गांव लौटने की तैयारी में हैं।
लापता लोगों की तलाश में जुटा प्रशासन, जिंदा होने की आस में परिजन
झाला (हर्षिल) निवासी सुधीर रौतेला बताते हैं कि आपदा के बाद से उनके परिजनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। सड़क मार्ग और मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह से ठप हैं। कई लोग लापता हैं और आशंका है कि कुछ लोग मलबे के नीचे दबे हो सकते हैं।
बावजूद इसके, सुधीर जैसे लोग अब भी अपने अपनों के जिंदा होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। इस बीच रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है और उत्तरकाशी से लेकर दिल्ली तक की मशीनरी राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई है।
सेना की त्वरित कार्रवाई से बची कई जानें, हर्षिल में कैंप स्थापित
हर्षिल में पहले से तैनात सेना की एक कंपनी ने तुरंत मोर्चा संभालते हुए राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए। सेना के जवान लगातार मलबे में फंसे लोगों को निकालने, घायलों को प्राथमिक चिकित्सा देने और राहत सामग्रियां पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
राहत कार्य में शामिल जवानों ने बताया कि कई जगहों पर भारी मलबा जमा है, जिसे हटाने के लिए जेसीबी और अन्य मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। सड़कों की मरम्मत और संचार बहाली के प्रयास भी तेज़ी से चल रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने किया हवाई सर्वेक्षण, पीएम ने ली स्थिति की जानकारी
उत्तरकाशी में आई इस भीषण आपदा पर मुख्यमंत्री ने बुधवार को प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया और पीड़ितों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति तक राहत तत्काल पहुंचे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से फोन पर बात कर स्थिति की जानकारी ली और हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
धराली-हर्षिल की आंखों देखी बनी दहशत की कहानी
धराली और हर्षिल के निवासी और पर्यटक इस आपदा को ज़िंदगी भर नहीं भूल पाएंगे। वो बाजार, जो कल तक लोगों से गुलजार था, आज मलबे के ढेर में तब्दील हो चुका है। इस त्रासदी ने फिर एक बार यह साबित कर दिया कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने मानव कितना असहाय हो सकता है। लेकिन साथ ही यह भी दिखा कि विपदा के समय सेना, प्रशासन और स्थानीय लोगों का साहस और समर्पण एक नई उम्मीद की किरण बनकर उभरा।