
रोहतास | बिहार के रोहतास जिले के परिवहन विभाग में एक बड़े वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। विभागीय ऑडिट में सामने आया है कि चार विभागीय कर्मियों ने मिलकर करीब ₹2 करोड़ 30 लाख रुपये का टैक्स सरकारी खाते में जमा ही नहीं किया। इस खुलासे के बाद प्रशासन और परिवहन विभाग में हड़कंप मच गया है। पुलिस ने जांच तेज करते हुए संबंधित कार्यालय से दस्तावेज जब्त किए हैं और मामला नगर थाना तक पहुँच चुका है।
ऑडिट में खुली टैक्स चोरी की परतें
वर्ष 2021 से लेकर 2025 तक के वित्तीय रिकॉर्ड की जब विभागीय ऑडिट की गई, तो यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि आम जनता से टैक्स के रूप में वसूली गई रकम को संबंधित बैंक खातों में जमा ही नहीं कराया गया। शुरुआती जांच में चार कर्मचारियों पर गबन का सीधा आरोप लगा है।
डीटीओ (जिला परिवहन पदाधिकारी) रामबाबू ने बताया कि:
- अजय कुमार सिंह और अक्षय कुमार द्वारा मोटर वाहन कर (Motor Vehicle Tax) की लगभग ₹1.75 करोड़ की राशि बैंक में जमा नहीं कराई गई।
- वहीं, प्रोग्रामर अनिल कुमार और डाटा एंट्री ऑपरेटर अनिल कुमार ने ई-चलान की करीब ₹55 लाख रुपये की वसूली बैंक में नहीं जमा की।
यह राशि सीधे तौर पर सरकार की आमदनी से जुड़ी थी और इसका सरकारी खजाने में न पहुँचना एक गंभीर वित्तीय अपराध माना जा रहा है।
डीटीओ की शिकायत पर दर्ज हुई प्राथमिकी
जैसे ही यह अनियमितता सामने आई, नगर थाना सासाराम में डीटीओ रामबाबू की शिकायत पर वित्तीय गबन की प्राथमिकी दर्ज की गई है। केस दर्ज होते ही पुलिस ने कार्रवाई शुरू करते हुए संबंधित कार्यालयों में दस्तावेज खंगालने शुरू कर दिए हैं।
एसडीपीओ ने खुद संभाली जांच की कमान
मामले की गंभीरता को देखते हुए अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (SDPO) दिलीप कुमार ने खुद मोर्चा संभाला और मंगलवार को डीटीओ कार्यालय पहुंचकर कई कर्मियों से पूछताछ की। बताया जा रहा है कि पूछताछ का दायरा और गहराया जाएगा और बैंक ट्रांजैक्शन, ऑनलाइन रिकॉर्ड, टैक्स भुगतान रसीदों सहित तमाम डिजिटल दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच कराई जाएगी।
कैसे हुआ यह घोटाला?
सूत्रों के अनुसार, यह घोटाला ई-चालान और मोटर टैक्स वसूली की प्रक्रिया में की गई हेराफेरी से जुड़ा है। विभाग के कुछ कर्मचारी लोगों से वसूली तो करते थे, लेकिन उसे या तो बैंक में नहीं जमा करते थे या फर्जी रसीद देकर सिस्टम में गड़बड़ी करते थे। चूंकि अधिकतर भुगतान ऑनलाइन हुआ करते हैं, इसलिए इस गड़बड़ी की भनक पहले नहीं लग पाई।
वित्तीय अनियमितता या सुनियोजित षड्यंत्र?
प्रशासनिक हलकों में चर्चा है कि यह महज चार कर्मियों का व्यक्तिगत अपराध नहीं हो सकता। आशंका जताई जा रही है कि इसमें ऊपरी स्तर तक की मिलीभगत हो सकती है और जांच का दायरा बढ़ते ही और नाम सामने आने की संभावना है।
सरकार की छवि पर असर, विपक्ष ने उठाए सवाल
विपक्षी दलों ने इस घोटाले को लेकर सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। एक प्रमुख विपक्षी नेता ने कहा, “बिहार में भ्रष्टाचार बेलगाम हो चुका है। जब टैक्स तक नहीं जमा हो पा रहा और जनता का पैसा डकारा जा रहा है, तो बाकी क्या सुरक्षित है?”
अब आगे क्या?
- पुलिस जांच के बाद चारों आरोपी कर्मचारियों की गिरफ्तारी संभव मानी जा रही है।
- बैंकिंग और ट्रांजैक्शन की अत्याधुनिक साइबर ऑडिट कराई जाएगी।
- अन्य जिलों के परिवहन विभागों की ऑडिट रिपोर्ट भी खंगाली जा रही है, ताकि पता लगाया जा सके कि यह मामला सिर्फ रोहतास तक सीमित है या कोई राज्यव्यापी घोटाले का हिस्सा है।