
नैनीताल | हल्द्वानी शहर के मुस्लिम बहुल इलाकों में शनिवार सुबह अचानक एक बड़े पैमाने पर पुलिस सत्यापन अभियान शुरू किया गया। सुबह 6 बजे से शुरू हुई इस कार्रवाई में पुलिस ने शहर के मुख्य प्रवेश और निकास बिंदुओं पर कड़ी नाकाबंदी की, वाहनों की गहन तलाशी ली और घर-घर जाकर लोगों के पहचान पत्र, किरायेदारी विवरण और पूर्व में दर्ज आपराधिक रिकॉर्ड की जांच की।
इस अभियान में एसपी सिटी, सीओ, कोतवाल, थाना व चौकी प्रभारियों सहित लगभग 300 से अधिक पुलिस जवानों को तैनात किया गया। पुलिस बल की भारी मौजूदगी और तेज़ गति से हो रही पूछताछ के चलते स्थानीय लोगों में हलचल और दहशत का माहौल बन गया।
किन इलाकों में चला अभियान?
सत्यापन अभियान मुख्यतः ताज चौराहा, बनभूलपुरा, इन्द्रानगर, लाइन नंबर क्षेत्र, मलिक का बग़ीचा और दुर्गा मंदिर रोड जैसे संवेदनशील और मुस्लिम बहुल इलाकों में चलाया गया। पुलिस टीमों ने गलियों और मोहल्लों में अचानक दस्तक देकर स्थानीय निवासियों से पहचान संबंधी दस्तावेज मांगे और संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ की। इसके अतिरिक्त, शहर के बाहरी क्षेत्रों में वाहन चेकिंग अभियान भी जारी रहा, जहां बिना नंबर प्लेट, संदिग्ध नंबरों और लावारिस वाहनों को हिरासत में लिया गया।
कार्रवाई का मकसद क्या है?
पुलिस प्रशासन ने इस अभियान को कानून-व्यवस्था बनाए रखने, आपराधिक तत्वों की पहचान करने और बाहरी संदिग्ध लोगों की मौजूदगी का पता लगाने के उद्देश्य से चलाया है।
एसपी सिटी ने मीडिया से बात करते हुए कहा:
“यह एक नियमित सुरक्षा अभियान है, जिसका मकसद शहर में शांति बनाए रखना और आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगाना है। जिन लोगों के पास वैध दस्तावेज हैं, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है।”
हालांकि, अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि यह अभियान किसी विशेष खुफिया सूचना के आधार पर चलाया जा रहा है या किसी आगामी कार्यक्रम या खतरे के मद्देनज़र उठाया गया कदम है।
स्थानीय प्रतिक्रिया – डर, भ्रम और नाराजगी
इस व्यापक अभियान के दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय लोग परेशान नजर आए। कई इलाकों में दुकानों को देर से खोला गया, स्कूल जाने वाले बच्चों के माता-पिता चिंतित दिखे और सड़कों पर सन्नाटा छा गया।
स्थानीय निवासी आरिफ खान ने बताया:
“सुबह-सुबह भारी पुलिस बल देखकर हम घबरा गए। कोई जानकारी नहीं दी गई थी कि यह क्यों हो रहा है। हमारे मोहल्ले में बच्चों और बुजुर्गों तक से पूछताछ की गई।”
वहीं एक महिला रुखसार बेगम ने कहा:
“पुलिस को सुरक्षा करनी है, हम खिलाफ नहीं हैं, लेकिन कम से कम पहले से सूचना देनी चाहिए थी। महिलाओं को अकेले देखकर कुछ ज्यादा ही सख्ती से पेश आ रहे थे।”
कई दस्तावेजों की जांच, कई हिरासत में
पुलिस ने अभियान के दौरान जिन घरों में किराएदार रह रहे थे, वहां से किरायेदारी अनुबंध, आधार कार्ड और निवास प्रमाणपत्र की मांग की। जिन लोगों के दस्तावेज अधूरे या संदेहास्पद पाए गए, उन्हें पूछताछ के लिए नज़दीकी थानों में ले जाया गया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, अब तक करीब 27 लोगों को संदेह के आधार पर हिरासत में लेकर जांच की जा रही है।
पूर्व घटनाओं से जुड़ा है अभियान?
हल्द्वानी में बीते कुछ महीनों में नशीले पदार्थों की तस्करी, अवैध निर्माण और बाहरी संदिग्धों की गतिविधियों की शिकायतें सामने आई थीं। कुछ वारदातों के बाद यह मांग भी उठी थी कि संवेदनशील इलाकों में पुलिस की सक्रियता बढ़ाई जाए। ऐसे में यह सत्यापन अभियान किसी लंबी योजना का हिस्सा माना जा रहा है, जिससे पुलिस जिले के संवेदनशील क्षेत्रों की प्रोफाइलिंग कर सके और आवश्यकतानुसार निगरानी बढ़ा सके।
मानवाधिकार और नागरिक संगठनों की चिंता
हालांकि, इस प्रकार की कार्रवाई को लेकर नागरिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि केवल धर्म या इलाकों के आधार पर सत्यापन अभियान चलाना सामाजिक भेदभाव की भावना को जन्म दे सकता है।
एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता, शाहीन परवीन ने कहा:
“अगर सुरक्षा ही उद्देश्य है, तो पूरे शहर में समान रूप से अभियान चलना चाहिए। सिर्फ मुस्लिम इलाकों को निशाना बनाना गलत संदेश देता है और समुदाय के भीतर भय का वातावरण बनाता है।”