
हल्द्वानी (नैनीताल)। उत्तराखंड का हल्द्वानी वन प्रभाग अब ईको पर्यटन की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है। नंधौर रेंज स्थित लाखनमंडी क्षेत्र, जो अब तक आम के बागानों और शांत वन सौंदर्य के लिए जाना जाता था, उसे अब ‘ईको विलेज’ के रूप में विकसित किया जाएगा। इस परियोजना के लिए वन विभाग ने शासन को पांच करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा है।
आम के बगीचे में बसेगा ईको पर्यटन केंद्र
लाखनमंडी की खूबसूरत वन भूमि, जहां चारों ओर आम के पेड़ों की हरियाली फैली है, अब इको टूरिज्म का नया केंद्र बनेगा। हल्द्वानी के प्रभागीय वनाधिकारी कुंदन कुमार ने बताया कि नंधौर क्षेत्र की जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य को सहेजते हुए ईको विलेज विकसित किया जाएगा।
क्या-क्या सुविधाएं होंगी ईको विलेज में?
पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए यहां कई बुनियादी और आकर्षक सुविधाएं विकसित की जाएंगी:
- स्वागत कक्ष (रिसेप्शन)
- ईको हट्स और कॉटेज
- कैफेटेरिया और किचन
- स्वच्छ शौचालय और पेयजल सुविधा
- कूड़ा निस्तारण की आधुनिक व्यवस्था
- सुंदर प्रवेश द्वार और पर्यावरण के अनुकूल सौंदर्यीकरण कार्य
इस पूरे काम में स्थानीय संसाधनों और कच्चे माल को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि पर्यावरणीय संतुलन बना रहे।
स्थानीय युवाओं को मिलेगा रोजगार
ईको विलेज परियोजना केवल पर्यटन को ही नहीं, स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा देगी। इस योजना के तहत नंधौर और चोरगलिया क्षेत्र के स्थानीय युवाओं को ‘नेचर गाइड’ के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। इससे उन्हें रोजगार के नए अवसर मिलेंगे, वहीं पर्यटकों को क्षेत्र की वन्य-प्राकृतिक जानकारी स्थानीय भाषा और दृष्टिकोण से मिलेगी।
क्यों है यह परियोजना महत्वपूर्ण?
- पर्यावरणीय संरक्षण के साथ विकास का उदाहरण
- स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा
- युवाओं को पलायन से रोकने में सहायक
- हल्द्वानी को ईको टूरिज्म का नया केंद्र बनाने की दिशा में कदम
लाखनमंडी को ईको विलेज में बदलना एक दूरदर्शी और संवेदनशील कदम है, जो न केवल पर्यटन को नया आयाम देगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, रोजगार सृजन और स्थानीय विकास को भी एकीकृत रूप से आगे बढ़ाएगा। यदि यह योजना सफल होती है, तो यह मॉडल पूरे उत्तराखंड और देशभर के अन्य वन क्षेत्रों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बन सकता है।