
देहरादून। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के पाखरो टाइगर सफारी में हुए बहुचर्चित करोड़ों रुपये के घोटाले में अब पूर्व डीएफओ अखिलेश तिवारी के खिलाफ शिकंजा कस गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीबीआई को अभियोजन की अनुमति दे दी है, जिससे अब उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों में मुकदमा चलाया जाएगा।
क्या है पाखरो रेंज घोटाला?
उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के तहत आने वाले पाखरो टाइगर सफारी निर्माण में भारी वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ था। टाइगर सफारी के नाम पर बड़े पैमाने पर नियमों की अनदेखी करते हुए कथित तौर पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया। निर्माण कार्यों में लागत बढ़ाकर दिखाना, फर्जी भुगतान, बिना अनुमति कटान और ठेकों में गड़बड़ी जैसे गंभीर आरोप सामने आए थे।
अखिलेश तिवारी पर क्या आरोप हैं?
तत्कालीन डीएफओ अखिलेश तिवारी, जो उस समय कालागढ़ डिवीजन में तैनात थे, पर आरोप है कि उनके कार्यकाल के दौरान
- नियमों को दरकिनार कर करोड़ों रुपये के निर्माण कार्य स्वीकृत और क्रियान्वित कराए गए।
- टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता बरती गई।
- टाइगर सफारी के नाम पर फर्जी बिल पास कर भुगतान किए गए।
सीबीआई ने इन आरोपों की जांच की और अपनी रिपोर्ट में पाया कि तिवारी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं, जिसके आधार पर अब उनके खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई आगे बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री ने दी अभियोजन की मंजूरी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीबीआई द्वारा मांगी गई अभियोजन की स्वीकृति को अनुमोदित कर दिया है। अब तिवारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 और भारतीय दंड संहिता की संगत धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
किशन चंद पर भी गिरेगी गाज
घोटाले में एक और नाम जो सामने आया है, वह है कालागढ़ टाइगर रिजर्व लैंसडाउन के तत्कालीन डीएफओ किशन चंद। उन पर भी सफारी निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। मुख्यमंत्री ने उनके खिलाफ भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 और दंड संहिता की धारा 197 के तहत अभियोग चलाने की अनुमति प्रदान कर दी है।
राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति
पाखरो घोटाले पर मुख्यमंत्री धामी की सख्ती एक बार फिर राज्य सरकार की “भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस” नीति को दर्शाती है। इससे पहले भी कई बड़े घोटालों में सीबीआई जांच की संस्तुति दी जा चुकी है।
पाखरो टाइगर सफारी घोटाले में सीबीआई की जांच के बाद अब कानूनी प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ ली है। मुख्यमंत्री द्वारा अभियोजन की अनुमति मिलना यह संकेत देता है कि अब जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई तय है। जिम कॉर्बेट जैसी संवेदनशील और अंतरराष्ट्रीय पहचान रखने वाली परियोजनाओं में हुई अनियमितताओं पर अब उत्तराखंड सरकार कोई नरमी बरतने को तैयार नहीं है।