
देहरादून| वरिष्ठ नागरिकों को समाज कल्याण विभाग की योजनाओं का लाभ ससमय और सुगमता से मिले, इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विशेष रूप से पर्वतीय और दुर्गम क्षेत्रों में रह रहे असहाय और अकेले वृद्धों की समस्याओं के समाधान पर जोर दिया गया है।
संयुक्त नागरिक संगठन के कार्यकारी उपाध्यक्ष गिरीश चंद्र भट्ट और महासचिव सुशील त्यागी ने कुछ दिन पूर्व मुख्य सचिव आनंदवर्धन से भेंट कर “उत्तराखंड माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण नियमावली 2011” को कड़ाई से लागू करने की मांग की थी। इसके बाद, समाज कल्याण विभाग के सचिव द्वारा 17 जुलाई को सभी जिलाधिकारियों को विस्तृत निर्देश जारी किए गए।
मुख्य बिंदु:
- राज्य के 69 उपखंडों (परगनों) में भरण-पोषण अधिकरणों का गठन कर दिया गया है। इनके अध्यक्ष संबंधित उप जिलाधिकारी (SDM) होंगे।
- ये अधिकरण उन मामलों में न्याय सुनिश्चित करेंगे, जहां संतानें अपने माता-पिता या बुजुर्गों की देखभाल में विफल रहती हैं।
- नियमावली 2011 के अनुसार, यदि कोई संतान अपने माता-पिता की उपेक्षा या परित्याग करती है, तो यह एक संगीन अपराध माना जाएगा। इसमें ₹5000 जुर्माना या तीन माह की सजा, या दोनों हो सकते हैं।
- सभी समाज कल्याण अधिकारियों को भरण-पोषण अधिकारी नामित किया गया है।
- पुलिस थानों को अपने क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिकों की अद्यतन सूची तैयार कर उसे नियमित रूप से अपडेट करने के निर्देश दिए गए हैं।
नियमों की नियमित समीक्षा
समाज कल्याण विभाग ने स्पष्ट किया है कि नियमावली 2011 के तहत की जा रही कार्रवाई की नियमित समीक्षा शासन स्तर पर की जाएगी, ताकि वरिष्ठ नागरिकों को उनके अधिकार और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। यह कदम राज्य में बुजुर्गों के कल्याण की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां सुविधाएं सीमित और चुनौतियां अधिक हैं।
उत्तराखंड समाज कल्याण विभाग की वृद्धजन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ वृद्धजनों को समय पर उपलब्ध कराए जाएं – अपर सचिव