
कानपुर के चकरपुर डाकघर में एक गंभीर वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया है। पोस्टमास्टर मारुति दीक्षित को एक ग्राहक के खाते से आठ लाख रुपये के गबन के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। डाक विभाग ने मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है और अब एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी चल रही है।
कैसे खुला मामला?
प्रवर डाक अधीक्षक मनोज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि पांच दिन पहले डाक विभाग के पोर्टल पर एक अलर्ट मैसेज आया था, जिससे संदेह उत्पन्न हुआ। जब जांच की गई तो सामने आया कि एक ग्राहक के खाते में रकम जमा नहीं की गई, जबकि वह पिछले कई वर्षों से आठ लाख रुपये जमा करता रहा था।
पोस्टमास्टर से वसूली
जांच के दौरान मारुति दीक्षित पर गबन का आरोप तय होने के बाद उनसे पूरी रकम की वसूली कर ली गई है। हालांकि, यह कार्रवाई विभागीय स्तर पर की गई है और अब एफआईआर दर्ज कर पुलिस जांच कराने की तैयारी की जा रही है।
अन्य संलिप्तों की तलाश
डाक अधीक्षक ने स्पष्ट किया कि यदि जांच में अन्य कर्मचारियों की संलिप्तता पाई जाती है, तो उनके खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाएगी। वर्तमान में खातों की गहन जांच जारी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी अन्य ग्राहक के साथ धोखाधड़ी न हुई हो।
अफवाहें और सच्चाई
चर्चा थी कि डाकघर में 90 लाख रुपये के गबन का मामला है, लेकिन विभागीय जांच में फिलहाल केवल 8 लाख रुपये की अनियमितता की पुष्टि हुई है। प्रवर अधीक्षक ने स्पष्ट किया कि अफवाहों से परे रहकर सिर्फ तथ्यात्मक आधार पर कार्रवाई की जा रही है।
निष्कर्ष:
इस घटना ने सरकारी वित्तीय संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को फिर से रेखांकित किया है। डाकघर जैसे भरोसेमंद संस्थानों में इस तरह की गड़बड़ियां जनता के विश्वास को चोट पहुंचाती हैं। विभाग की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन अब जरूरत है कि मामले की गहराई से जांच कर दोषियों को कानूनी सजा दिलाई जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं।