
नैनीताल | रविवार को उत्तराखंड के प्रसिद्ध कैंची धाम में श्रद्धा की बाढ़ उमड़ पड़ी। नीब करौरी बाबा के 61वें स्थापना दिवस पर आयोजित मेले में रिमझिम बारिश भी भक्तों की आस्था के सामने फीकी पड़ गई। सुबह पांच बजे से ही बाबा के जयकारों से वादियां गूंज उठीं और भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।
⛅ बरसात में भी लगी श्रद्धा की कतार
भारी बारिश के बावजूद, हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए कैंची धाम पहुंचे। भीगे कपड़ों और भीगते शरीर के बावजूद किसी के चेहरे पर थकान नहीं थी—हर कोई बाबा के “जयकारों” में मग्न था। करीब दो किलोमीटर लंबी कतार में भक्त बाबा के दर्शन के लिए इंतजार कर रहे थे।
🚍 श्रद्धालुओं के लिए 600 शटल वाहनों की व्यवस्था
भीड़ को नियंत्रित करने और सुगम यातायात के लिए भीमताल, भवाली, नैनीताल और अन्य स्थलों से श्रद्धालुओं को लाने के लिए 600 शटल वाहन लगाए गए। नैनीताल की डीएम भी व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने खुद शटल से कैंची धाम पहुंचीं।
📊 9:30 बजे तक 40,000 से अधिक भक्त कर चुके थे दर्शन
एसएसपी पीएन मीणा ने बताया कि मेला पूरी तरह से सुरक्षित और नियंत्रित तरीके से संचालित हो रहा है। सुबह 9:30 बजे तक 40 हजार श्रद्धालु बाबा के दर्शन कर चुके थे और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।
🌍 देश-विदेश से उमड़े श्रद्धालु
दिल्ली, मुंबई, हरियाणा, सूरत, देहरादून के अलावा नेपाल से भी भक्तों का जत्था बाबा के दरबार में आशीर्वाद लेने पहुंचा। श्रद्धालुओं को मालपुए का प्रसाद बांटा गया, जो बाबा नीब करौरी महाराज की परंपरा का हिस्सा है।
🛡️ सुरक्षा चाक-चौबंद
हर चप्पे पर पुलिस तैनात रही। श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा और ट्रैफिक नियंत्रण के लिए प्रशासन पूरी तरह सक्रिय रहा। बारिश के बावजूद मेले में किसी प्रकार की कोई अव्यवस्था नहीं दिखी।
भावार्थ:
कैंची धाम का मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, भक्ति, श्रद्धा और संगठन का जीवंत उदाहरण बन गया है। हर बूंद बारिश के साथ जब जयकार गूंजते हैं, तब लगता है कि यह स्थान केवल हिमालयी घाटी नहीं, बल्कि ईश्वर के साक्षात् सान्निध्य की भूमि बन चुका है।
यदि आप चाहें तो मैं इस आयोजन पर एक भावनात्मक लेख या वीडियो स्क्रिप्ट भी तैयार कर सकता हूँ, जो आपकी वेबसाइट या सोशल मीडिया के लिए उपयुक्त हो। बताइए, आगे कैसे बढ़ें?