पीलीभीत। यूपी के पीलीभीत स्थित पूरनपुर इलाके में पंजाब और पीलीभीत पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में मारे गए तीनों आतंकी 18 दिसंबर की देर रात पंजाब में गुरदासपुर के कलानौर थाने की बख्शीवाल पुलिस चौकी पर हमला कर फरार हुए थे। इसके बाद करीब 800 किलोमीटर दूर आकर पीलीभीत के पूरनपुर इलाके में आकर शरण ली थी। जंगी एप से इनका एक वीडियो हाथ में लगने के बाद पंजाब पुलिस पीछा करते हुए यहां आ पहुंची। इसके बाद स्थानीय पुलिस की मदद से चौकी पर हमले के करीब 100 घंटे के भीतर स्थानीय पुलिस की मदद से मुठभेड़ में मार गिराया।
मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों का स्थानीय कनेक्शन बड़ा सवाल है। आतंकियों के नगर में किसी होटल में ठहरने की चर्चा जोरों पर है। पंजाब में वारदात कर आतंकी पीलीभीत कब और क्यों आए, यहां उनके संपर्क में कौन है, यहां किसी वारदात को अंजाम देने की फिराक में तो नहीं थे। ऐसे कई सवाल हैं, जो लोगों के जेहन में घूम रहे हैं। हालांकि पुलिस इस बारे में सिर्फ इतना ही बता पा रही है कि ये तथ्य विवेचना का विषय हैं। एडीजी रमित शर्मा ने प्रेसवार्ता में खालिस्तानी अपराधियों के जिले में पहुंचने, स्थानीय कनेक्शन और अन्य सवालों के जवाब में विवेचना जारी होने की बात कही।
पंजाब से भागकर पूरनपुर पहुंचे खालिस्तानी आतंकियों के पास से जो बाइक बरामद हुई, वह रविवार शाम करीब सात बजे असम हाईवे पर टेलीफोन एक्सचेंज के पास से चोरी हुई थी। पुलिस ने रात में ही बाइक चोरी की रिपोर्ट दर्ज की है। बाइक मोहल्ला साहूकारा निवासी नाजिम की है। नाजिम तिराहा पर रेडीमेड कपड़े की दुकान लगाता है। सुबह करीब 4:30 बजे पंजाब के गुरदासपुर के कलानौर थाना पुलिस ने आतंकियों की मौजूदगी की सूचना दी, तो जिले की पुलिस अलर्ट हो गई।
हरदोई ब्रांच नहर के असम हाईवे पुल से करीब दो किलोमीटर दूर घटनास्थल पर पुलिस की गाड़ी डी के के शीशे के छोटे-छोटे टुकड़े पड़े थे। इससे करीब पांच मीटर दूरी पर सड़क किनारे झाड़ियों में आतंकियों की बाइक पड़ी थी। बाइक के पास खेतों की ओर जाने वाले रास्ते पर दूर तक खून के छींटे थे। खून के छींटे एक खेत के किनारे झाडियों के पास भी थे। लोगों का मानना है कि गोली लगने के बाद आतंकियों ने बाइक छोड़कर खेतों में भागने की कोशिश की।
आतंकियों ने 18 दिसंबर को बख्शीवाल चौकी पर ग्रेनेड फेंका था। बताया जा रहा है कि पटना की जिम्मेदारी लेते हुए एक स्क्रीन शॉट जारी किया गया था, जो पंजाब पुलिस के हाथ लग गया। इसके बाद पंजाब पुलिस ने आतंकियों का पीछा शुरू किया और पीलीभीत पहुंची। बताते हैं कि आतंकी मोबाइल से बात करने और संदेश भेजने में किसी जंगी एप का प्रयोग करते हैं। इस एप में भेजा गया संदेश व डाटा 20 सेकेंड में खुद ही डिलीट हो जाता है।
सुबह लोग जगे ही थे कि जिले में बड़ी घटना की जानकारी सोशल मीडिया पर दौड़ने लगी। पूरनपुर क्षेत्र में पंजाब और जिले की पुलिस से मुठभेड़ में तीन खालिस्तानी आतंकियों के देर होने की खबर ने लोगों की नींद उड़ा दी। तरह-तरह की चचर्चाएं शुरू हो गई। हर कोई एक-दूसरे से घटना के बारे में जानकारी लेते दिखा। टेलीविजन पर भी लोग घटना की जानकारी लेने के लिए डटे रहे। हालांकि मुठभेड़ की दहशत के चलते लोग कुछ भी बोलने से कतराते रहे। मुठभेड़ की गूंज लखनऊ तक पहुंची और डीजीपी समेत आला अधिकारियों के बयान भी जारी हुए।
पंजाब में चौकी पर हमला करने के बाद गुरदासपुर के रहने वाले तीनों आतंकियों ने पीलीभीत में ही आकर क्यों शरण ली, यह बड़ा सवाल है। सूत्रों का कहना है कि जब नेपाल भागने की फिराक में थे तो दो दिन पहले से आकर यहां रुके क्यों। पहले ही क्यों नहीं भाग गए। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि पीलीभीत में उनका कोई मददगार तो नहीं है। जिसके भरोसे तीनों का आकर रुके थे। एडीजी रमित शर्मा ने कहा है कि इस बिंदु पर भी गंभीरता से जांच की जा रही है।