देहरादून। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नंदन सिंह की अदालत ने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में पति को दोषी करार दिया है। न्यायालय ने उसे 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। 20 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड जमा न करने पर दो वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। न्यायालय ने उत्पीड़न और साक्ष्य छिपाने पर सास-ससुर को तीन-तीन वर्ष के कठोर कारावास और पांच-पांच हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। सभी दोषियों को जेल भेज दिया गया है।
यूपी के सहारनपुर के इस्लामनगर निवासी राजकुमार (हाल निवासी हिमाचल प्रदेश के पांवटा के गोदपुर निहालगढ़) ने पुलिस को तहरीर देकर बताया था कि नौ मई 2019 को उनकी बेटी प्रीति की शादी यूपी के मिर्जापुर के वाल्मीकि बस्ती निवासी सुनील कुमार से हुआ था। दोनों कुल्हाल में रह रहे थे। बताया कि शादी में उन्होंने अपनी बेटी को यथा शक्ति पूरा दहेज दिया। लेकिन, शादी के बाद से पति, सास, ससुर और उसकी ननद बेटी को परेशान करने लगे। तीनों उसके साथ मारपीट और गाली गलौज भी करने लगे। बताया कि बेटी के साथ मारपीट करने की बात पता चली तो उसे हिमाचल प्रदेश स्थित अपने घर ले आया।
लेकिन, कुछ दिन बाद दामाद सुनील ने आकर माफी मांगी। बेटी की सुरक्षा की गारंटी दी और उसे अपने साथ ससुराल ले गया। 19 जुलाई 2019 को बेटा प्रीति को ससुराल से लेने गया तो ससुरालियों ने उसे यह कहकर लौटा दिया कि दो तीन दिन बाद वह स्वयं उसे मायके छोड़ देंगे। बताया कि तीन चार दिन बाद पता चला कि बेटी की मौत हो गई है। बेटी के ससुर बताया कि प्रीति ने फांसी लगाकर आत्महत्या की। बाद में कहा कि करंट लगने से उसकी मौत हुई है। शिकायतकर्ता ने दामाद सुनील कुमार, ससुर राकेश कुमार और सास रेखा पर बेटी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था।
कोतवाली पुलिस ने मामले में तीनों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। मामले में 12 गवाहों में से आठ को न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। अभियोजन और बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं की ओर से पेश की गई दलीलों को सुनने के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नंदन सिंह की अदालत ने मृतका को पति सुनील कुमार को आत्महत्या के लिए उकसाने, दहेज उत्पीड़न, साक्ष्य छिपाने का दोषी करार दिया है। जबकि, सास और ससुर को दहेज उत्पीड़न के साथ साक्ष्य छिपाने का दोषी करार दिया।