लखनऊ। प्रॉपर्टी डीलर ऋतिक पांडेय की मौत के मामले में निलंबित पुलिसकर्मियों की करतूत उजागर हुई। जब पीड़ित पक्ष शिकायत करने पहुंचा था तो एक दरोगा मोबाइल पर लूडो खेल रहा था, उसने कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई थी। शिकायतकर्ता को वापस भेज दिया था। दूसरा दरोगा वारदात की जानकारी होते ही बिना अनुमति के गैर जनपद भाग गया। वहीं सिपाही का कनेक्शन आरोपियों से मिला है। इसलिए इन तीनों को निलंबित किया गया।
दरअसल वारदात के बाद जब बंथरा पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगा था तब डीसीपी ने मामले की जांच एसीपी कृष्णानगर को दी थी। जांच में पता चला कि वारदात की रात जब पीड़ित पक्ष तहरीर लेकर थाने पहुंचा था तब दरोगा सुशील यादव लूडो खेल रहा था। शिकायतकर्ता ने कार्रवाई की मांग की थी तो उनको वहां से भगा दिया था। बोला था कि जो होगा सुबह होगा।
वहीं दरोगा सुभाष यादव इलाके का हलका इंचार्ज था। जब सुबह उसको जानकारी हुई कि मारपीट के मामले में एक की मौत हो गई है तो वह गैर जनपद चला गया। सिपाही यतेंद्र की भूमिका सबसे संदिग्ध पाई गई, क्योंकि घटना के बाद मुख्य आरोपियों से उसकी फोन पर बातचीत हुई। पुख्ता साक्ष्यों के आधार पर इन तीनों पर कार्रवाई की गई है।
जिस तरह से जांच में सामने आया कि सिपाही के संपर्क में आरोपी थे, उससे साफ है कि उसी ने उनको कार्रवाई की जानकारी दी। ये भी बताया कि केस दर्ज हो गया है। अब गिरफ्तारी होगी। इसलिए पहले ही उनको भगा दिया। अब पुलिस को आरोपियों को पकड़ने में दिक्कत आ रही है।
जांच के दौरान जब दरोगा सुभाष से संपर्क किया गया तो एक जिले का नाम लेकर बोला कि वह वहां कोर्ट में आया है। विभागीय कार्य को लेकर। लेकिन, जब उसकी लोकेशन पता की गई तो वह अपने गृह जनपद के करीब था। इससे उसके झूठ का राजफाश हुआ। नामजद आरोपियों का अक्सर स्थानीय थाने में आना जाना लगा रहता था। आरोपी हिमांशु सिंह का पिता कन्हैया सिंह हिस्ट्रीशीटर भी रहा है। कई पुलिसकर्मी इन लोगों के बेहद करीबी हैं। अंदेशा है कि यही वजह थी कि उस रात पहली बार की शिकायत पर सुनवाई नहीं की गई।