फतेहपुर। फतेहपुर जिले में सदर कोतवाली क्षेत्र के आवास विकास मोहल्ले में मंगलवार सुबह सेवानिवृत्त कैप्टन के घर से 50 लाख की चोरी का शाम को कोतवाली पुलिस ने पटाक्षेप कर दिया। चोरी की साजिश कैप्टन की पत्नी व पुत्रों ने मिलकर रची थी। मर्चेंट नेवी में कार्यरत छोटे बेटे ने जमीन के बैनामे की रकम में साढ़े 32 लाख और बड़े ने 10 लाख का गोलमाल किया था। अब मामला समझौते की ओर है।
सेवानिवृत्त कैप्टन और पूर्व सैनिक संगठन के जिलाध्यक्ष हरिशंकर सिंह चौहान ने सुबह घर की तीसरी मंजिल स्थित स्टोर का ताला तोड़कर बक्से से 50 लाख की नकदी भरा बैग चोरी होने की पुलिस को खबर दी थी। खबर से पुलिस की हवाइयां उड़ गई। कैप्टन मूलरूप से हुसैनगंज थाने के सहिमापुर निवासी हैं। एक साल पहले बेरागढ़ीवा स्थित मवेशी मंडी के पास स्थित जमीन 90 लाख रुपये में बेची थी। उन्होंने 63 लाख रुपये का सीओ सिटी कार्यालय के पास मकान खरीदना तय किया था। मकान खरीदने के लिए 50 लाख रुपये एक साल से घर में रखे थे।
पुलिस व फील्ड यूनिट की जांच में कमरे में लगे ताले की कुंडी सुरक्षित थी। एक भी निशान नहीं मिला। घर में किसी बाहरी के आने का कोई रास्ता नहीं दिखा। संदेह पैदा होने पर पुलिस कैप्टन की पत्नी भाग्यवती, बड़े बेटे राहुल, बहू अंजली व मर्चेंट नेवी में नौकरी करने वाले छोटे बेटे रमन को काेतवाली ले गई। सभी से बारी-बारी से पूछताछ हुई। मोबाइल कॉल डिटेल से भी कुछ सामने नहीं आया। सभी के मोबाइल चेक करने शुरू किए। छोटे बेटे रमन के मोबाइल में डेल्टा 999 गेमिंग एप मिला। एप खंगालने पर सट्टेबाजी का खुलासा हुआ। सुराग मिलने पर पुलिस ने रमन से सख्ती से पूछताछ की। रमन ने गेमिंग एप पर सट्टे में रकम हारना कबूला।
कोतवाल राजेंद्र सिंह ने बताया कि एप पर सट्टेबाजी में करीब दो साल से रमन 1.40 करोड़ रुपये हार चुका है। वह अपना वेतन का 80 लाख भी गवां चुका है। इस दौरान एप से कमाए 10 लाख रुपये भी हार गया। एक साल से घर में 50 लाख नकदी भरा बैग रखा था। छोटा बेटा रमन बैग से रुपये निकालकर सट्टे में 32.50 लाख रुपये हार गया। इस बीच बड़े बेटे रोहित ने भी 10 लाख रुपये बैग से निकाले थे। बेटे ने ही मकान बयाना देने के लिए पिता को साढ़े सात लाख रुपये दिए थे। यह सब सोची समझी साजिश के तहत किया गया। बैग से रुपये निकालने के लिए कैप्टन की पत्नी भाग्यवती ही बेटों को चाबी देती थी। उसने बेटों को बचाने के लिए चोरी की साजिश रची और बैग अलमारी में छिपा दिया। तलाशी में बैग में महज 20 हजार रुपये मिले हैं। मामला परिवार का होने के चलते कैप्टन तहरीर देने को तैयार नहीं हुए हैं।
पुलिस को जांच के दौरान ही कैप्टन की पत्नी भाग्यवती पर शक होने लगा था। घर में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स के पहुंचने परिवार घबरा गया था। कैप्टन रुपये चोरी से परेशान थे। वह बेटों पर शक जताने लगे। इसी दौरान पुलिस बेटों व बहू को ले जाने लगी। भाग्यवती बोली कि रुपया गया, सो गया, वह बहू को थाना कोतवाली नहीं जाने देगी। इससे पुलिस को भाग्यवती पर शक होने लगा था।
मकान के बयाने के लिए साढ़े सात लाख रुपये दिए गए थे। दो माह पहले पांच लाख और नौ जुलाई को ढाई लाख रुपये दिए गए। इसके लिए पिता ने जब बेटे से बैग लाने के लिए कहा तो राजफाश के डर से उसने पिता को विश्वास में लेकर खुद ही बैग से रुपये लाकर दिए। यदि कैप्टन बैग को खोलकर देख लेते तो उन्हें रुपयों के गायब होने का पता चल जाता। रमन मर्चेंट नेवी से जनवरी 2024 को शिफ्ट से लौटा है।
पुलिस ने शक के दायरे में आए पड़ोसी दुकानदार को भी पकड़ा है। बड़े बेटे राहुल के रुपयों का लेनदेन दुकानदार से भी हो सकता है। राहुल के मोबाइल की जांच में रात डेढ़ बजे कई बार पड़ोसी दुकानदार से बातचीत का रिकार्ड मिला है। घर से बैनामे के दो दिन पहले 50 लाख सिर्फ कैश की चोरी की बात अपने में संदिग्ध प्रतीत होने लगी थी। स्टोर के बगल में बहू का कमरा है। इस कमरे की अलमारी में काफी गहने व अन्य सामान था। इस तीसरी मंजिल पर कोई भी रात सोया नहीं था। चोर बड़े ही आराम से वारदात कर सकते थे। इस पर भी पुलिस को शक हुआ।