
उत्तराखंड में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने हेतु सामाजिक संगठनों की पहल – “उत्तराखंड स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम 2025” का प्रस्ताव जिलाधिकारी को सौंपा गया
आज दिनांक 22-अप्रेल कों प्रातः 11-15 बजे संयुक्त नागरिक संगठन की अपील पर सभी सामाजिक संस्थाओं कें प्रतिनिधि उत्तराखंड में प्राइवेट स्कूलों की मनमानियों पर अंकुश लगाने हेतु सामूहिक भावनाओं के अनुरूप *उत्तराखंड स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम 2025 का प्रारूप बनाकर इसे लागू करने हेतु सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों/जागरूक दून वासियों के हस्ताक्षर उपरांत सामूहिक ज्ञापन जिलाधिकारी कें माध्यम से मुख्यमंत्री कें नाम ज्ञापन प्रेषित किया। सयुंक्त नागरिक संगठन द्वारा प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर बिन्दुवार समस्याएं जिलाधिकारी कों बताई साथ ही उस परिपेक्ष मेँ सुझाव भी दिये।
संस्था कें प्रतिनिधियों द्वारा जिलाधिकारी द्वारा जनहित मेँ किये गये कार्यों हेतु धन्यवाद प्रेषित किया औऱ उनकी भूरी भूरी प्रशंसा की तत्पश्चात सिविल सर्विस डे कें उपलक्ष मेँ एवं उनके किये कार्यों कें लियॆ शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया जिस पर जिलाधिकारी द्वारा सभी का आभार प्रकट किया औऱ लगातार जनता कें सुलभ कार्यों कें प्रति अभियान जारी रखने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर मुख्यतः सुशील त्यागी , पदम सिंह थापा, नरेशचंद्र कुलाश्री, जीo एसo जस्सल , प्रदीप कुकरेती, एलoआरo कोठियाल, पंकज उनियाल, मुकेश नारायण शर्मा, चौधरी ओमवीर सिंह, बीo पीo ममगांई , शक्ति प्रसाद डिमरी , दिनेश भंडारी , शान्ति प्रसाद नौटियाल , ठाकुर शेर सिंह, डा॰ मुकुल शर्मा , दिनेश गोदियाल , संजय गर्ग , प्रभात डण्डरियाल , प्रकाश नागिया , विजय पाहवा , दिनेश उनियाल।
संयुक्त नागरिक संगठन के द्वारा प्रस्तावित “उत्तराखंड स्व- वित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम 2025 का प्रारूप निम्लिखित है:
- उत्तराखंड स्व-वित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम-2025″ तत्काल लागू किया जाय।
- उत्तराखंड के सभी जनपदों में जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में अधिकार संपन्न ‘जिला शुल्क नियामक समिति’(डिस्ट्रिक्ट फीस रेगुलेटरी कमेटी) का गठन किया जाए।
- जिला शुल्क नियामक समिति के अनुमोदन के बगैर स्कूलों को फीस, ड्रेस या यूनिफॉर्म में किसी भी तरह का बदलाव करने पर रोक लगाने का प्राविधान भी शामिल किया जाय।
- स्कूल-पब्लिशर्स व रिटेलर्स से संबंधित सभी गतिविधियां को नियंत्रित करने हेतु प्राविधान शामिल किए जाए।
- अधिनियम के प्राविधानों में प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश शुल्क में तीन वर्षों में अधिकतम 10% प्रतिशत वृद्धि सुनिश्चित की जाय।
- राज्य के सभी प्राइवेट स्कूलों के लिए प्रत्येक कक्षा की फीस निर्धारित करते हुए इसमें एकरूपता सुनिश्चित की जाय।
- आईoसीoएसoईo बोर्ड से संबंध स्कूलों में भी प्रदेश के भीतर एनoसीoईoआरoटीo की पुस्तकें अनिवार्य की जाएं। यदि इसमें केंद्रीय स्तर से कोई अड़चन है, तो केंद्र सरकार के स्तर पर भी प्रयास के लिए राज्य स्तर से आग्रह किया जाए।
- उत्तराखंड में प्राइवेट पब्लिशर्स की पुस्तकें पूरी तरह प्रतिबंधित की जाएं। यदि ये लगाई भी जाती हैं तो सरकार राज्य के भीतर इनके पृष्ठों और प्रिंटिंग क्वालिटी के अनुसार इनका अधिकतम विक्रय मूल्य निर्धारित/नियंत्रित करे। पब्लिशर्स को उसी अधिकतम मूल्य के भीतर पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए विवश किया जाए।
- प्रदेश में किसी भी स्कूल के संचालन के लिए मान्यता/एनओसी संबंधी प्रावधानों को कठोर बनाने के साथ ही इनका अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए डीएम और मुख्य शिक्षाधिकारी को व्यापक अधिकार दिए जाएं।
- स्कूलों में सुविधाओं में बढ़ोतरी, अवसंरचना विस्तार, नवीन शाखा की स्थापना, शैक्षिक प्रयोजनों के विकास आदि के साथ ही सभी तरह के शुल्क संग्रह की प्रक्रिया खुली,पारदर्शी व उत्तरदाई बनाई जाए, जिसकी रसीद अभिभावक को हर हाल में उपलब्ध कराई जाने की बाध्यता हो।
- मासिक ट्यूशन फीस में ही परिवहन, बोर्डिंग, मेस या डाइनिंग (उपयोगानुसार), शैक्षिक दौरे या अन्य समान क्रियाकलाप का शुल्क भी शामिल हो। वह भी सिर्फ उसी अभिभावक से लिया जाए, जिसका छात्र उक्त सेवाओं/सुविधाओं का उपभोग कर रहा हो।
- स्कूल छोड़ते समय बच्चे के अभिभावक को एडमिशन के वक्त जमा कराई गई सिक्योरिटी की पूरी राशि और टीoसीo जारी करने की बाध्यता स्कूल प्रबंधन के लिए की जाए। टीoसीo के लिए किसी भी तरह का अतिरिक्त शुल्क/भुगतान लेने पर तत्काल रोक लगे। टीoसीo बच्चे को निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए।
- राज्य स्तर पर फीस एक्ट व स्कूलों से संबंधित अन्य नियमों-विनियमों के अनुपालन और निजी स्कूलों पर नियंत्रण के लिए उच्चस्तरीय अधिकारसंपन्न स्वतंत्र ‘स्कूल नियामक आयोग’ का गठन किया जाए।
- अधिनियम के प्राविधानों/नियामक समिति के आदेशों/अभिवावकों की शिकायतो की जांच में पाए गए दोषी प्राइवेट स्कूलों के विरुद्ध 5 लाख रुपए आर्थिक दंड लगाने/स्कूलों को जारी एनoओoसीo को निरस्त करने/स्कूलों को सीज कराने के प्राविधान भी अधिनियम में शामिल किए जाए।