देहरादून। समाज में महिला और पुरुषों के बीच बेशक समानता आ रही हो, लेकिन जब भी बात परिवार नियोजन की आती है तो पुरुष महिलाओं से 100 गुना पीछे खड़े नजर आते हैं। देहरादून स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े इस बात की पुष्टि कर रहे हैं। परिवार नियोजन के मामले में पुरुषों की ओर से हर बार महिलाओं को आगे कर दिया जाता है। पुरुष नसबंदी के लिए आगे नहीं आते। आज भी न धारणा बदली है और न ही पुरुष नसबंदी के आंकड़े। पिछले एक साल की रिपोर्ट के मुताबिक देहरादून जिले में 22 पुरुषों ने और 2,231 महिलाओं ने नसबंदी करवाई है।
देहरादून एसीएमओ एनएचएम डॉ. निधि रावत ने बताया कि आज भी पुरुष और परिवारजनों में यह धारणा बनी हुई है कि पुरुष नसबंदी करवाने से शारीरिक कमजोरी आ जाती है। जबकि, ऐसा नहीं है। पुरुष नसबंदी पूरी तरह सुरक्षित है और इसके बाद पुरुषों को शारीरिक कमजोरी नहीं आती। वह अपने सभी कार्य सुचारू रूप से कर सकते हैं। डॉ. निधि ने बताया कि आशा कार्यकर्ताएं परिवार नियोजन के लिए दंपतियों को प्रेरित करती हैं और उन्हें स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाती हैं। महिलाएं मान जाती हैं, लेकिन पुरुष इसके लिए आगे नहीं आते। परिवार नियोजन के मामले में आज भी पुरुष महिलाओं से 100 गुना पीछे हैं।
डॉ. निधि ने बताया कि पुरुष नसबंदी के बाद परिवार नियोजन के लिहाज से कम से कम तीन महीने तक एहतियात बरतना जरूरी होता है, क्योंकि तीन महीने तक शुक्राशय में शुक्राणु सक्रिय रहते हैं। यदि इस बीच शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं तो महिला के गर्भ ठहरने का डर बना रहता है। हालांकि, नसबंदी करने के बाद पुरुष को इसके बारे में हिदायत दे दी जाती है। नसबंदी कराने के अगले दिन से पुरुष कामकाज कर सकता है।
प्रसव के बाद सात दिन के भीतर नसबंदी कराने पर महिला को 2200 रुपये, सामान्य रूप से महिला नसबंदी कराने पर 1400 रुपये और पुरुष नसबंदी कराने पर शासन की ओर से प्रोत्साहन राशि के रूप में जिले में 2000 रुपये दिए जाते हैं। कॉपर टी अपनाने पर 300 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक के आंकड़े
परिवार नियोजन की विधि | स्थिति | संख्या |
महिला नसबंदी | स्थायी | 2231 |
पुरुष नसबंदी | स्थायी | 22 |
अंतरा | अस्थायी | 382 |
कॉपर टी | अस्थायी | 4709 |
माला एन | अस्थायी | 4314 |
कंडोम | अस्थायी | 9447 |