देहरादून। कोशिश भी कर, उम्मीद का रास्ता भी चुन, फिर थोड़ा मुकद्दर तलाश कर… लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजते ही ये पंक्तियां उन घोषित और संभावित उम्मीदवारों पर सटीक बैठती हैं, जो मतदाताओं का दिल जीतने की भरसक कोशिश में ताल ठोकेंगे। उम्मीदवार पहाड़ की कठिन चढ़ाई और तराई-भाबर का मैदान मारने की हसरत लिए संसद की राह तलाशने की उम्मीद सजोएंगे।
पांच लोकसभा सीट वाले उत्तराखंड के मतदाता कई मायनों में अपनी अलग पहचान रखते हैं। बीते दो चुनावों 2014 और 2019 में भाजपा के सभी उम्मीदवारों को संसद भेजा। 2009 में ऐसा ही मौका कांग्रेस को दिया था। राज्य गठन से पहले और बाद में कई बार ऐसे मौके भी आए, जब मतदाताओं ने अपनी गढ़ी परिपाटी को एक झटके में तोड़ा भी है। छोटे राज्य की राजनीतिक सोच और नजरिया लंबे समय से दो दल भाजपा-कांग्रेस के करीब ही रहा है। एक समय ऐसा भी था जब यहां के मतदाता राज्य में एक दल की सरकार बनाते और सांसद दूसरे दल का चुनकर भेजते। 2002 में राज्य में कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन 2004 के लोस चुनाव में पांच में तीन सांसद भाजपा के जीते।
2009 में भाजपा की सरकार बनी, लेकिन उसके सभी सांसद उम्मीदवार हार गए। 2014 में राज्य में कांग्रेस की सरकार थी, बावजूद उसके उसका कोई भी उम्मीदवार नहीं जीत सका। मतदाताओं का मिजाज भांपने में भाजपा कुछ मायनों में आगे रही है। शायद यही कारण है कि लोगों ने अपनी बनाई रणनीति और परंपरा को तोड़ना बेहतर समझा। राज्य में पांच-पांच साल का फार्मूला भाजपा को जिताकर तोड़ा। 2019 में भाजपा के पांचों सांसदों को पुन: जिताकर भेजा, जबकि राज्य में भाजपा की सरकार थी।
नैनीताल : ऊधमसिंह नगर- यह लोकसभा सीट मैदानी और पहाड़ी इलाके का प्रतिनिधित्व करती है। भाजपा ने फिर केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस अभी तक इस सीट पर भी उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है। लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 14 सीटों में यहां भी नौ भाजपा के पास और पांच कांग्रेस के पास हैं।
अल्मोड़ा : पिथौरागढ़- राज्य की सुरक्षित लोकसभा सीट पर भाजपा कांग्रेस ने टम्टा बिरादरी से चिर प्रतिद्वंद्वी उतारे हैं। भाजपा के अजय टम्टा तीसरी बार मैदान में हैं, जबकि राज्यसभा सांसद रहे प्रदीप टम्टा पर कांग्रेस ने पुन: भरोसा जताया है। इस लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के नौ विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पांच विधायक हैं।
गढ़वाल : पौड़ी- इस लोकसभा क्षेत्र में आने वालीं 14 विधानसभा सीटों में भाजपा के पास 13 हैं। कांग्रेस ने भाजपा से पहले अपने उम्मीदवार गणेश गोदियाल की घोषणा की थी। भाजपा ने तीरथ सिंह रावत की जगह राज्यसभा सांसद रहे अनिल बलूनी को उम्मीदवार बनाया है।
टिहरी : लोकसभा क्षेत्र की 14 में से दो विधानसभा सीट कांग्रेस के पास हैं। भाजपा ने यहां राजघराने पर भरोसा जताते हुए फिर से माला राज्यलक्ष्मी को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने टिहरी में वरिष्ठ नेता और मसूरी के पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला को आजमाया है।
हरिद्वार : लोकसभा क्षेत्र की 14 में से भाजपा के पास मात्र छह विधानसभा क्षेत्र हैं। जबकि कांग्रेस के पास पांच। भाजपा ने दो बार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक की जगह पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को उतारा है। कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत प्रबल दावेदार हैं।