डॉक्टर कहते हैं कि शराब से तमाम रोग होते हैं लेकिन किसान बीमारियों से बचाने के लिए ही फसलों को शराब पिला रहे हैं। आलू को झुलसा और टमाटर-मिर्च, गोभी को फंगस से बचाने के लिए Liquor में दवा घोल कर स्प्रे किया जा रहा है। पूर्वांचल से पश्चिमी उप्र तक यह तरीका इस्तेमाल हो रहा है। किसानों के मुताबिक शराब के छिड़काव से फसल स्वस्थ और चमकदार होती है।
कानपुर के बिल्हौर, रसूलाबाद, चौबेपुर क्षेत्र में पिछले एक महीने में 10 हजार बोतल देसी Liquor ज्यादा बिकी। यह खेतों में इस्तेमाल हुई। आलू किसान अतुल कुशवाहा ने कहा- ‘जिबरेलिक और विन-ची-विन दवाएं हम शराब में मिला कर छिड़कते हैं। इससे आलू में झुलसा नहीं लगता। उत्पादन 10 बोरी प्रति बीघा तक बढ़ जाता है’। राढ़ा निवासी किसान विनय कटियार ने बताया-‘यह दवाएं Liquor में ही ठीक से घुलती हैं। पानी में घोलने पर यह उतनी कारगर नहीं रहतीं’।
Farmers की यह देसी खोज पूरब से पश्चिम तक समान रूप से प्रचलित है। हापुड़ से जौनपुर, मिर्जापुर, बस्ती तक, संभल से सोनभद्र तक, प्रयागराज के मऊआइमा से फूलपुर तक फसलों पर शराब का स्प्रे हो रहा है। बस्ती में तैनात कृषि वैज्ञानिक राघवेंद्र सिंह के मुताबिक झुलसा से बचाव को किसान शराब का प्रयोग करते हैं, लेकिन यह वैज्ञानिक पद्धति नहीं हैं।
दवा को एक बोतल शराब में घोलते हैं। 20 लीटर पानी में यह घोल मिलाकर स्प्रे होता है। दो बार स्प्रे करने पर झुलसा व फंगस से बचाव हो जाता है। दवा को केवल पानी में घोल कर डालने से पूरा लाभ नहीं मिलता। कानपुर के जिला आबकारी अधिकारी, प्रगल्भ लवानिया ने इस बारे में कहा कि सर्दी में अचानक आलू बेल्ट की दुकानों में शराब की बिक्री बढ़ जाती है।
Farmers एक साथ 20-25 क्वार्टर तक खरीदते हैं। पहले लगा कि सर्दी में शराब ज्यादा पी जा रही होगी। बाद में उस क्षेत्र के दुकानदारों ने बताया कि खेतों मे छिड़काव हो रहा है।