देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा सत्र का आज अहम दिन है। सदन में यूसीसी बिल पारित हो सकता है। विधानसभा में भाजपा के पास स्पष्ट बहुमत प्राप्त है। उसके 47 सदस्य हैं। कुछ निर्दलीय विधायकों का भी उसे समर्थन प्राप्त है। ऐसे में बिल का पारित होना तय है। यहां पढ़ें पल-पल के अपडेट…
अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति के भेजा जा सकता है बिल : यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर उत्तराखंड विधानसभा सत्र में चर्चा जारी है। सांविधानिक जरूरत पड़ी तो इस कानून को लागू करने से पहले अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति के भेजा जा सकता है।
नेता प्रतिपक्ष बोले- सरकार नियम विरुद्ध चला रही सत्र : नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का कहना है कि यूसीसी के नाम पर प्रदेश सरकार को सत्र को विशेष सत्र का रूप दे रही है। जो नियमों के विरुद्ध है। जबकि विधानसभा सचिवालय की ओर से विधायकों को जो सूचना दी गई है कि उसमें साफ है कि पांच सितंबर 2023 को आहुत सत्र को आगे बढ़ाया गया है।
यूसीसी के बिल में किसी धर्म विशेष का जिक्र नहीं : देश के पहले समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के बिल में किसी धर्म विशेष का जिक्र तो नहीं, लेकिन कई नियमों के बदलाव में रूढ़ि, परंपरा और प्रथा को खत्म करने का आधार बनाया गया है। इद्दत, हलाला को भी प्रत्यक्ष तौर पर कहीं नहीं लिखा गया। हालांकि, एक विवाह के बाद दूसरे विवाह को पूरी तरह से अवैध करार दिया गया है।
सदन में सवाल-जवाब का दौर जारी : सदन में सवाल-जवाब का दौर जारी है। कांग्रेस विधायक सुमित हृदेश ने व्यवस्था के तहत सवाल उठाया। कहा कि पीसीएस की भर्ती परीक्षा को लेकर आंदोलन कर रहे युवाओं पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की सीएम धामी ने घोषणा की थी, लेकिन घोषणा अभी तक पूरी नहीं हुई।
सीएम धामी ने दिया जवाब: जो युवा भर्ती में शामिल होना चाहते है उनके मुकदमे हर हाल में वापस होंगे। गुंडे बदमाशों के मुकदमे वापस नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि जिन युवाओं के फोन कांग्रेस विधायक सुमित हृदेश के पास आए हैं और वह भर्ती में शामिल होना चाहते है उनके मुकदमे वापस होंगे। कहा कि कांग्रेस विधायक ऐसे युवाओं की सूची उपलब्ध कराए।
सदन में यूसीसी पर चर्चा जारी : सदन में यूसीसी पर चर्चा जारी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज पूरा देश उत्तराखंड को देख रहा है। उत्तराखंड के लिए यह युगांतकारी समय है। उन्होंने कहा कि मातृ शक्ति के उत्थान के लिए सभी लोग सकारात्मक रूप से चर्चा में भाग लें। यह हर पंथ, हर समुदाय और हर धर्म के लिए है।
सबके हित में यूसीसी : सीएम : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) सबके हित में है और किसी को भी चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। समान नागरिक संहिता का प्रदेश और देशवासियों को लंबे समय से प्रतीक्षा थी।
विधेयक पारित होना तय : विधानसभा में भाजपा को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है। उसके 47 सदस्य हैं। कुछ निर्दलीय विधायकों का भी उसे समर्थन प्राप्त है। ऐसे में यूसीसी विधेयक पारित कराने में कोई कठिनाई नहीं है। चर्चा के बाद यूसीसी विधेयक पारित होना तय माना जा रहा है। समवर्ती सूची का विषय होने की वजह से पारित होने के बाद विधेयक राज्यपाल के माध्यम से अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति को भी भेजा जा सकता है।
उत्तराखंड विधानसभा सत्र का आज तीसरा दिन है। सदन में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) बिल पारित हो सकता है। दो साल की कसरत के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को विधानसभा के पटल पर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) उत्तराखंड विधेयक 2022 रखकर इतिहास रच दिया। सदन में बिल पेश करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य हो गया है।
विधेयक में प्रावधान के मुताबिक, बेटा और बेटी को संपत्ति में समान अधिकार देने और लिव इन रिलेशनशिप में पैदा होने वाली संतान को भी संपत्ति का हकदार माना गया है। अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों पर यूसीसी लागू नहीं होगा। सदन में विधेयक पेश करने के बाद सीएम ने कहा कि यूसीसी में विवाह की धार्मिक मान्यताओं, रीति-रिवाज, खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर कोई असर नहीं होगा।
विपक्ष ने की बिल का अध्ययन करने के लिए समय देने की मांग : मंगलवार को सदन के सारे कामकाज स्थगित कर सरकार सदन में 202 पृष्ठों का यूसीसी विधेयक लेकर आई। इस प्रक्रिया को लेकर सदन में विपक्ष की नाराजगी पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने ढाई घंटे सदन स्थगित रखा ताकि बिल के अध्ययन के लिए समय मिले। शाम करीब साढ़े छह बजे सदन स्थगित हो गया।
चर्चा के बाद बुधवार को बिल पारित होने की संभावना है। चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों ने धामी सरकार की तारीफ की तो नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व एक अन्य विपक्षी सदस्य ने इसे पुनर्विचार के लिए प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग उठाई। इससे पहले सीएम धामी हाथों में संविधान की पुस्तक लेकर विधानसभा में पहुंचे। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस सदस्य प्रीतम सिंह ने व्यवस्था प्रश्न उठाया कि बिल पेश किया जा रहा है, लेकिन उन्हें बिल की प्रति नहीं मिली है। उन्होंने स्पीकर से बिल का अध्ययन करने के लिए समय देने की मांग की।