बड़ौत/बागपत। बड़ौत के टयौढी गांव में अरूण के अंतिम संस्कार के दौरान आरोपी अर्चना की मां ललिता भी शामिल हुई। इस दौरान ललिता अपनी बेटी की करतूत पर खूब रोई। रोते हुए वह कह रही थी कि काश पैदा होते ही अर्चना का गला घोट देती, कम से कम आज दो परिवार उजड़ने से तो बच जाते। वहीं जैसे ही परिवार व गांव की महिलाओं को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने ललिता को खूब ताने मारे और कहा कि कैसी बेटी को जन्म दिया तूने। पूरे परिवार को ही उजाड़ दिया।
मेरठ में पोस्टमार्टम होने के बाद शुक्रवार को तकरीबन एक बजे अरूण का शव अंतिम संस्कार के लिए गांव में पहुंचा। सुबह से ही ग्रामीण अंतिम संस्कार के लिए अरूण के शव का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही उसका शव गांव में पहुंचा, भारी भीड़ एकत्रित हो गई। अंतिम संस्कार से पहले हर कोई अरूण को अंतिम बार देखना चाहता था। शव देखते ही लोगों की आंखें भर आई। सभी कह रहे थे कि अरूण बहुत भला लड़का था। यह बहुत गलत हुआ है। भगवान भी ऐसी औरत को कभी माफ नहीं करेगा, जिसने अपने ही पति की हत्या करा दी।
अरूण हत्याकांड में बेटी के शामिल होने की सूचना पर मां ललिता के पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई। वह मन ही मन में बेटी को कोसने लगी। यहीं वजह रही कि वह परिवार की दो-तीन महिलाओं के साथ अरूण के अंतिम संस्कार मेें शामिल हुई, लेकिन जैसे ही वह अरूण के घर पर पहुंची, तो वहां पर शोक जता रही महिलाएं उसे देखकर आग बबूला हो उठी। राेते हुए सभी महिलाएं कह रही थी कि हे कैसी बेटी को जन्म दिया तूने, हंसता-खेलता परिवार ही उजाड़ दिया। महिलाएं ललिता को बार-बार ताने दे रही थी और ललिता भी रोते हुए अपनी बेटी को कोस रही थी।
मृतक अरूण के परिवार व गांव की अन्य महिलाओं द्वारा ताने देने के बाद अर्चना की मां ललिता अरूण के शव के पीछे शमशान घाट तक पहुंची। वहां पर वह बेसुध होकर रो रही थी और एक अन्य महिला उसे रोते हुए थाम रही थी। शायद ललिता को अपनी बेटी की हरकतों का पहले से ही पता था। वह अपनी बेटी की करतूत पर खूब रोई और कह रही थी कि काश पैदा होेते ही तेरा गला घोट देती, आज उजड़ने से दो परिवार को बच जाते।
दरअसल पोस्टमार्टम के बाद अरूण के शव को तो गांव में भेज दिया गया था, लेकिन इस दौरान कुछ कागजी कार्रवाई अधूरी रह गई थी। जिनको पूरा कराने के लिए अरूण के पिता सत्यवीर पीछे रह गए थे। उधर गांव में अरूण का शव पहुंचने के बाद परिवार व अन्य महिलाओं की स्थिती को देखते हुए थोडी देर बाद ही अंतिम संस्कार के लिए परिवार के लोग शव को लेकर चल पड़े थे। शमशान घाट में पहुंचने के बाद पौने घंटे बाद सत्यवीर वहां पर पहुंचा, जिसके बाद अरूण के शव का दाह संस्कार किया गया।
अरूण के शव को देखकर मां वीरमति, बहन नेहा समेत परिवार की अन्य महिलाओं का रोते हुए बुरा हाल हो रहा था। इस दौरान जब अरूण के शव को अंतिम संस्कार के लिए ग्रामीण लेकर जा रहे थे, तो रास्ते में अरूण का छोटा भाई अंकुर रोते हुए बेहोश हो गया। लोग किसी तरह उसे होश में लेकर आए।