कानपुर। कानपुर में 32वीं वाहिनी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) की ट्रेड्स मैन भर्ती परीक्षा में अभ्यर्थियों की जगह वाराणसी के साॅल्वरों ने परीक्षा दी थी। इसका खुलासा उन चार अभ्यर्थियाें ने पुलिस पूछताछ में किया है, जिनको गुरुवार को महाराजपुर स्थित 32वीं वाहिनी आईटीबीपी मुख्यालय पर चल रही भर्ती प्रक्रिया के दौरान बॉयोमीट्रिक मिलान न होने पर पकड़ा गया था। हालांकि चारों अभ्यर्थी सॉल्वरों के नाम नहीं बता सके हैं।
वहीं, पुलिस ने इतने गंभीर अपराध में कमजोर तहरीर के चलते चारों को थाने से निजी मुचलके पर छोड़ दिया है। अक्तूबर में लखनऊ के बिजनौर स्थित आईटीबीपी के पास स्थित केंद्र पर ट्रेड्स मैन व कांस्टेबल भर्ती की लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया था। इसमें फिरोजाबाद के तीन अभ्यर्थियों और एटा के एक अभ्यर्थी के स्थान पर सॉल्वरों ने परीक्षा दी थी। अभ्यर्थियों ने पुलिस को बताया कि परीक्षा केंद्र के बाहर उनकी मुलाकात सॉल्वरों से हुई थी।
सॉल्वरों ने पास कराने के एवज में प्रति छात्र 10 हजार रुपये की मांग की। इतने पैसे देने में असमर्थता जताने पर सॉल्वर पांच हजार रुपये प्रति अभ्यर्थी में राजी हो गए थे। पैसे लेने के बाद सॉल्वरों ने उनके स्थान पर परीक्षा दी थी। परीक्षा के बाद अभ्यर्थियों ने केंद्र के बाहर अपना प्रवेश पत्र फाड़कर फेंक दिया था। पुलिस अब परीक्षा केंद्र के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे खंगालने की बात कह रही है, ताकि सॉल्वरों के गैंग तक पहुंचा जा सके।
थाने से अभ्यर्थियों को मुचलके पर छोड़े जाने पर पूर्व पुलिस महानिदेशक व राज्यसभा सांसद बृजलाल का कहना है कि मामला गंभीर है। ऐसे मामले में थाने से जमानत कतई नहीं मिलनी चाहिए। उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेजना चाहिए। यदि ऐसे लोगों को थाने से जमानत दी गई है तो पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजिमी है। मामले को संज्ञान में लेकर आला अफसरों को जांच कराकर कार्रवाई करनी चाहिए।
महाराजपुर के थाना प्रभारी अभिषेक शुक्ला का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 420 और उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया गया है। जिन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज हुई है, उनमें सात साल से कम सजा का प्रावधान है। इनके पास से प्रवेश पत्र भी नहीं बरामद हुआ है। इसीलिए चारों आरोपियों को जेल नहीं भेजा जा सका। तहरीर में कूटरचित दस्तावेज तैयार कर उन्हें प्रयोग करने की बात का जिक्र नहीं है। ऐसा होता, तो आईपीसी की धारा 467, 468 और 471 धारा लगाई जाती। इन धाराओं में सात साल से अधिक का प्रावधान है। तब थाने से आरोपियों को जमानत पर छोड़ा नहीं जा सकता था।
फिरोजाबाद के जालीप्राश ढोलापुरा निवासी रामदेव यादव, नगला गंगी जसराना निवासी अभिषेक कुमार, खड़ेरिया अलहदादपुर निवासी रामकरन व एटा के लक्ष्मणपुर मरौना निवासी मानवेंद्र कुमार की जगह सॉल्वरों ने परीक्षा दी थी। गुरुवार को महाराजपुर में चल रही भर्ती प्रक्रिया में चारों के थंब इंप्रेशन और रेटिना का मिलान किया गया तो ये परीक्षा देने वालों से अलग मिले। इस पर चारों को पकड़कर महाराजपुर पुलिस के हवाले कर दिया गया था। 32वीं वाहिनी आईटीबीपी के उप सेनानी जीडी दंडपाल विश्वजीत मंडल की तहरीर पर चारों अभ्यर्थियों सहित चार अज्ञात सॉल्वरों के खिलाफ धोखाधड़ी व उप्र सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, भर्ती परीक्षाओं में सॉल्वर भेजने का काम बिहार और वाराणसी के कोचिंग सेंटरों से हो रहा है। कोचिंग सेंटरों में पढ़ने वाले पूर्व होनहार छात्रों को रुपये का लालच देकर गैंग के सरगना सॉल्वर के रूप में परीक्षा में बैठा रहे हैं। शहर में हाल ही में ग्राम विकास विभाग की भर्ती परीक्षा में पकड़े गए साॅल्वरों से पूछताछ में भी यह बात सामने आई थी। पकड़े गए सॉल्वरों में से ज्यादातर बिहार के पटना और वाराणसी के रहने वाले थे। ये वे छात्र हैं जिन्होंने इन कोचिंग सेंटरों में पढ़ाई की थी पर प्रतियोगी परीक्षा में पास नहीं हो पाए थे।
मामले में खुफिया विभाग फेल साबित हुआ। किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में बाहरियों का दखल न हो, इसलिए एलआईयू और लोकल इंटेलीजेंस को सतर्क किया जाता है। ये टीमें मैन्युअल और इलेक्ट्रानिक माध्यमों से बाहरियों पर नजर रखती हैं। अभी तक परीक्षा देने के दौरान सॉल्वरों को पकड़ लिया जाता था, पर इस बार सॉल्वरों ने परीक्षा आसानी से दे दी पर पकड़े नहीं गए। बॉयोमीट्रिक मिलान न होता इस मामले का पता ही नहीं चल पाता और सॉल्वर आगे भी ऐसे अपने काम को अंजाम देते रहते। इसके अलावा केंद्र के बाहर घूम रहे सॉल्वरों को पकड़ने में भी खुफिया तंत्र फेल साबित हुआ।
बता दें कि कानपुर में 32वीं वाहिनी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) महाराजपुर में चल रही ट्रेडमैन भर्ती परीक्षा प्रक्रिया के दौरान चार ऐसे अभ्यर्थी पकड़े गए थे, जिन्होंने लिखित परीक्षा दी ही नहीं। उनके स्थान पर सॉल्वरों ने लिखित परीक्षा पास की थी। गुरुवार को वाहिनी मुख्यालय पर चल रहे ट्रेड टेस्ट के दौरान बॉयोमीट्रिक मिलान नहीं होने पर यह खुलासा हुआ।