नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने पूरे भारत में विभिन्न सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों और राज्य शिक्षा बोर्डों की फर्जी डिग्री, मार्कशीट और प्रमाण पत्र तैयार करने वाले गिरोह का पर्दाफाश दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपी दाल चंद मेहरोलिया उर्फ अमर और महावीर कुमार अब तक 2000 लोगों की फर्जी मार्कशीट व डिग्री बना चुके हैं।
दाल चंद मेहरोलिया को एमएच एडुवर्सिटी, डिजिटल स्कूल ऑफ इंडिया में चल रहे शिक्षा संस्थान नेताजी सुभाष प्लेस कांप्लेक्स (पीतमपुरा) से इन्हें गिरफ्तार किया गया। मौके से फर्जी डिग्री, मार्कशीट, सर्टिफिकेट, लैपटॉप, प्रिंटर, मोबाइल फोन, फर्जी स्टांप, होलोग्राम, फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए खाली कागज बरामद किए गए।
अपराध शाखा के विशेष पुलिस आयुक्त रविंद्र सिंह यादव के अनुसार, आरोपियों ने कोविड-19 महामारी के दौरान इस गोरखधंधे की शुरुआत की थी। एक डिग्री बनाने के लिए 20 हजार से 2.20 लाख रुपये तक लेते थे। खास बात ये है कि कई फर्जी डिग्री व प्रमाणपत्र धारकों ने भारत और विदेश में नौकरी भी हासिल की है। उन्होंने बताया कि एएसआई विजुमोन को सूचना मिली थी कि एमएच एडुवर्सिटी, नेताजी सुभाष प्लेस कॉम्प्लेक्स (पीतमपुरा) में स्थित डिजिटल स्कूल ऑफ इंडिया की आड़ में फर्जी मार्कशीट और डिग्री तैयार करने का गिरोह चल रहा है।
एसीपी नरेश सोलंकी के नेतृत्व में इंस्पेक्टर विजयपाल दहिया, एसआई राजेश, एएसआई विजू मोन व अन्य की टीम ने एमएच एडुवर्सिटी, डिजिटल स्कूल ऑफ इंडिया, नेताजी सुभाष प्लेस कांप्लेक्स, (पीतमपुरा) में छापा मारकर मालिक बुराड़ी के कमल विहार निवासी दाल चंद मेहरोलिया उर्फ अमर को मौके से पकड़ लिया। मौके से शंघाई इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, विलियम केरी यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ शिलांग, उत्तराखंड, राजस्थान, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, कलिंग, बिहार आदि की कुल 19 फर्जी मार्कशीट, सर्टिफिकेट, डिग्री, साथ में 11 लैपटॉप, 14 मोबाइल फोन और नकली मुहरें बरामद की गईं।
इसके बाद सह-आरोपी बुराड़ी के कौशिक एन्क्लेव निवासी महावीर को भी बुराड़ी से गिरफ्तार किया गया। उसके घर से विभिन्न विश्वविद्यालयों और राज्य शिक्षा बोर्डों की नकली डिग्री, प्रमाण पत्र, मार्कशीट और माइग्रेशन प्रमाण पत्र के साथ-साथ अपराध में इस्तेमाल लैपटॉप, प्रिंटर, नकली स्टांप सहित कई आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई।
आरोपी दाल चंद मेहरोलिया ने खुलासा किया कि वह वर्ष 2020 से इस संस्थान को चला रहा है और उसने अपने कार्यालय में कई लड़कियों को टेलीकॉलर के पद पर नियुक्त किया है। वह विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में प्रवेश के लिए छात्रों से संपर्क कर इच्छुक छात्रों का डाटा दाल चंद मेहरोलिया को दे देती थीं। उसके बाद दाल चंद व्हाॅट्सएप के माध्यम से उन छात्रों से संपर्क करता और उन्हें आवश्यक दस्तावेज के बिना डिग्री प्राप्त करने का लालच देता। वह किसी भी छात्र से व्यक्तिगत रूप से नहीं मिला। विवरण प्राप्त करने के बाद उसने कई छात्रों के लिए मार्कशीट व प्रमाण पत्र तैयार किए। वह 10वीं कक्षा से लेकर पीएचडी तक की डिग्री के लिए 20000 से 2.20 लाख रुपये लेता था। राशि प्राप्त करने के बाद दाल चंद मेहरोलिया कूरियर से छात्रों को फर्जी डिग्री व प्रमाण पत्र भेजता था। दस्तावेज के फर्जी होलोग्राम भी तैयार किए जाते थे।
ये बनाकर बेचते थे
- निजी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों सहित पूरे भारत में विभिन्न विश्वविद्यालयों की पीएचडी, एलएलबी, बीटेक, एमटेक, बीफार्मा, बीए, एमए आदि की फर्जी डिग्री।
- विभिन्न राज्य शिक्षा बोर्डों के 10वीं और 12वीं कक्षा के फर्जी प्रमाण पत्र।
- विभिन्न कॉलेजों व विश्वविद्यालयों के डाक टिकट।
- मार्कशीट और प्रमाण पत्र में उपयोग किए जाने वाले होलोग्राम।
- विभिन्न विश्वविद्यालयों की मार्कशीट और प्रमाण पत्र।